‘‘बोया पेड़ बबूल का आम कहां से होय‘‘
नरेन्द्र सिंह राणा
ईश्वर के विधान में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता। श्री रामचरितमानस के रचयिता पू0 गुरूदेव भगवान गोस्वामी तुलसीदास जी चैपाई लिखते हैं ‘‘कर्मप्रधान विश्व करी राखा═जो जस करही तस फल चाखां’ यानि भगवान श्री हरि कहते है कि इस विश्व को मैने कर्म प्रधान बनाया है जो जैसा कर्म करेगा उसको उसका वैसा ही फल भोगना पडेगा ही। यह सिद्धान्त अमिट है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को भी यही समझाते है कि हे पार्थ मैं सबकुछ कर सकता हूं परन्तु किसी के कर्म में कोई मेरा हस्तक्षेप नही रहता है। सर्वप्रथम तो यह समझ लेना बहुत आवश्यक है ये सब रामायण और गीता अथवा वेद व पुराण आदि जितने धर्मग्रंथ है वे सम्पूर्ण विश्व की बात करते है केवल हिन्दु या हिन्दुओं की नहीं। अब थोड़ा पिछे चलते है 1980 व 1990 में जब जम्मू कश्मीर में पंजाब में आंतकवाद ने सिर उठाया तब भारत के हमारे नेता अटल बिहारी बाजपेयी ने अमेरिका सहित सम्पूर्ण विश्व केा बताया कि ये आंतकवादी मानवता विरोधी है हिंसा ही इनका धर्म है, आज हम इससे पीड़ित है लड़ रहे हैं कल पूरी दुनिया इसकी शिकार होगी। संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत जब आंतकवाद की बात उठाता था तभी अमेरिका, पाकिस्तान आदि देश इस समस्या को हमारी व्यक्तिगत समस्या कह कर निकल जाते थे। अमेरिका बराबर कहता रहा कि कश्मीर व पंजाब में स्थानीय लोग ही अपनी आजादी की लड़ाई भारत सरकार से लड़ रहे है। अटल जी बार-बार अगाह करते रहे कि आज हम तो कल तुम्हार बारी है। विश्व समुदाय को अपनी आंखे बंद नहीं करनी चाहिए बल्कि खोलने की आवश्यकता है। पकिस्तान अपनी नापाक हरकते करता रहा भारत लड़ता रहा। एक समय आया कि तालिबान ने पाकिस्तान में अपना विधिवत् दूतावास खोल लिया। मुल्ला उमर उसका मुखिया था। पाकिस्तान भारत को कहता था कि अब हम अकेले नहीं है तालिबान भी हमारे साथ है। आंतकवादियों का निर्दोर्षो को मारने का खेल चलता रहा। विश्व में शान्ति का संदेश देने वाले माहत्मा बुद्ध की सबसे विशाल प्रतिमा को अफगानिस्तान में तालिबान ने ऐलान कर बम से उ़डा दिया। भारत ने बहुत रोका लेकिन ‘‘विनाश काले विपरित बुद्धि‘‘ वह नही माना। ओसामा बिन लादिन ने अलकायदा प्रमुख बन अब अमेरिका को ही निशाना बना डाला। दो हवाई जहाजों का हाईजैक कर अमेरिका में बने विश्व के सबसे बडे ट्रेड सेंटर को घ्वस्त कर दिया। हजारों निर्दोष को अपनी जान गंवानी पडी। अमेरिका में हाहाकार मच गया। वहां के तत्कालिन राष्ट्रपति जुुनियर बुश ने अमेरिका संसद का आपातकालीन सत्र बुलाया उसमें घोषणा की गई कि यह अमेरिका के खिलाफ युद्ध है हम आंतकवाद को समाप्त करके ही दम लेंगे। ओसामाबिन लादिन को खोजा जाने लगा। अमेरिका ने अफगानिस्तान पर एक साथ हवाई हमला कर हजारों टन बारूद बरसा दिया। दनादन बम वर्षा पूरी दुनिया ने देखी। आंतकवादियों की नानी याद आ गई। अमेरिका की थल सेना ने भी मोर्चा संभाल लिया। तालिबान व अलकायदा को उखाड़ फेंकने के लिए अफगानिस्तान में लोकतात्रिक सरकार बनाकर उसको साथ लिया। 1980-1990 में भारत ने जो आंतकवाद के दुषपरिणाम दुनिया को बताये थे वो सब अब मानने लगे कि भारत की बात पहले मान लेते तो आज ये दिन न देखने पड़ते। कहावत है ‘‘सुबह का भूला यदि शाम को वापस आ जाये तो उसे भूला नहीं कहते‘‘ भारत सहित दुनिया ने आंतकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी। आंतकवाद को पालने पोसने के खिलाफ भी कारवाही शुरू की गई। पूरी दुनिया में पाकिस्तान की पोल खुल गई। पाकिस्तान के बुरे दिन ठीक से प्रारम्भ हो चुके थे। ओसामा बिन लादिन को भी पाकिस्तान ने ही छूपाया हुआ था यह भी उसकी पोल खोलने के लिए एक अहम सबूत दुनिया को तब पता चला जब अमेरिका के कमाण्डो ने उसे पाकिस्तान में ही मार गिराया। अब पाकिस्तान क्या करे क्योंकि उसकी पूरी सेना ही आंतकवादियों का साथ जो दे रही है। पाकिस्तान की खूफिया एजेन्सी आईएसआई भी पूरी तरह आंतकवादियों को धन-टेªनिंग-हथियार देने के काम में शामिल पाई गई। अमेरिका ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद रोक दी बाकी देशों ने भी अपने हाथ खीच लिए। पाकिस्तान की हालत किसी से छिपी नहीं है कंगाल होने की कगार पर है, उसमें कुछ समय है। आंतकवादियों या उसके सरगना जो पाकिस्तान में है वे सब उसके लिए भस्मासुर बन गए है। पाकिस्तान ने जो बोया वह विधि के विधान के अनुसार काट रहा है। भारत एक अमन पसंद देश हैं सदा शन्ति की राह पर चलता है। हमारे ऋषि मुनि सदा सर्वे भवन्तु सुखिनः का मंत्र जपते है। सबका मंगल हो, कल्याण हो, विश्व में सद्भावना हो सभी निरोगी हो। भारत केवल ये मंत्र कहता नहीं है उनको जीता भी है। राम जी की कृपा से हम आंतकवाद को काबू करने में सफल रहे है। अब आंतकवादियों उनके आकाओं व मदद्गार बने पाकिस्तान को यह बात समझा दी गई कि भारत में हमला करना अपनी मौत को बुलाने जैसा है। उड़ी और पुलवामा में किये गए कायराना आंतकी हमलों का बदला पाकिस्तान में घुस कर लिया। एक के बदले अनेक लेंगे। 2014 में जब मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने तबसे भारत की सरकार ने भ्रष्टाचार, कालाधन, तुष्टिकरणवाद, आंतकवाद पर कडे प्रहार किये है। आज मोदी जी दोबारा भारी बहुमत से देश के प्रधानमंत्री बने है। शान्ती की राह ही विकास की जननी होती है। शान्ति की राह ही प्रसन्नता देती है। भारतीयता यही सिखती है। अब बात कुछ नेताओं की कथनी व करनी की करते है। देश में आपने-अपने कर्मो के कारण उनका अपना अपना हाल है कुछ बेहाल हैं। अच्छा हाल या खराब हाल उनके पूर्व के कर्म ही है। शान्ति की बात पूरी दुनिया को समझाने बताने वाले महात्मा बुद्ध की प्रतिमा जब अफगानिस्तान में तालिबान ने बम से उड़ाई तो बदले में उन्हें इतने बम मिले जिनकी गिनती भी नहीं हो सकती। बम का बदला बम्मों ने ही लिया। अब अपने-अपने धनबल, पदबल का इस्तेमाल जैसा किया वैसा ही तो फल भोगना पड रहा है। भारतीय सस्कृति तो इससे भी आगे बढकर सावधान करती है कि आपके अच्छे या बुरे कर्मो का खामियाजा आप ही नही आपकी पीढियों को भी भोगना पड़ता हैै। परहित सरिस धर्म नहीं भाई-पर पीड़ा सम अघ नाहीं-यानि दूसरे के हित से बढ़कर कोई धर्म नहीं है और दूसरे के अहित से बढकर कोई पाप नहीं है। क्षमा मांगने का अधिकार सबसे पहले क्षमा करने वाला को होता है। पात्रता और अपात्रता पर यह उदाहरण जरूर ध्यान में रखना चाहिए कि ‘‘गाय को आप घास देते है और बदले में गऊ माता दूध देती है। वहीं सांप को दूध पिलाते है तो बदले में वह जहर देता है। घास के बदले दूध और दूध के बदले जहर अब आपको पात्र तय करना है।