रिटायर्ड फौजी अफसर सनाउल्लाह भी विदेशी घोषित
बच्चों को भी NRC में नहीं मिली जगह, पत्नी का नाम लिस्ट में शामिल
नई दिल्ली: सेना के रिटायर्ड अफसर मोहम्मद सनाउल्लाह NRC की फाइनल लिस्ट में भी जगह नहीं बना पाए हैं। बता दें कि सेना में जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO) रहे मोहम्मद सनाउल्लाह को फॉरेन ट्रिब्यूनल द्वारा ‘विदेशी’ घोषित किया गया था। जिसके बाद उन्हें डिटेंशन कैंप भेज दिया गया था। हालांकि मोहम्मद सनाउल्लाह ने फॉरेन ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ गुवाहटी हाईकोर्ट में अपील दायर की है, जिस पर सुनवाई चल रही है।
मोहम्मद सनाउल्लाह को कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि अंतिम समय में कुछ बदलाव हो जाएगा और उनका नाम एनआरसी की लिस्ट में शामिल कर लिया जाएगा, लेकिन अंतिम लिस्ट में भी उनका नाम शामिल नहीं हो सका। मोहम्मद सनाउल्लाह का कहना है कि उन्हें न्यायपालिका में पूरा विश्वास है और वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि उन्हें न्याय मिलेगा। बातचीत में सनाउल्लाह ने कहा कि उन्हें एनआरसी सेवा केन्द्र, छायागांव द्वारा बीते हफ्ते बुलाया गया था और उनसे फॉरेन ट्रिब्यूनल के फैसले की कॉपी, जिसमें उन्हें विदेशी घोषित किया गया है, और डिटेंशन कैंप से जमानत के आदेश की कॉपी मुहैया कराने के निर्देश दिए गए थे।
सनाउल्लाह के अनुसार, ‘उनके साथ ही उनकी बेटी शहनाज अख्तर, हिलमिना अख्तर और बेटे सईद अख्तर को भी अंतिम एनआरसी लिस्ट में जगह नहीं मिल पायी है। उन्होंने कहा कि अभी वह हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे और उसके बाद ही अपने अगले कदम पर विचार करेंगे।’ बता दें कि मोहम्मद सनाउल्लाह सेवा के दौरान राष्ट्रपति मेडल भी जीत चुके हैं।
रिटायर्ड आर्मी अफसर मोहम्मद सनाउल्लाह साल 1987 में सेना में भर्ती हुए थे और सेवा के दौरान जम्मू कश्मीर और मणिपुर में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। साल 2008 में एक मोहम्मद सनाउल्लाह का नाम ‘संदेहास्पद’ मतदाता के तौर पर दर्ज हुआ था। जिसके बाद उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने संबंधी नोटिस जारी हुआ। सनाउल्लाह साल 2018 में ट्रिब्यूनल के सामने पेश हुए, जहां 23 मई को उन्हें विदेशी घोषित कर गोलपाड़ा के डिटेंशन कैंप भेज दिया गया। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि जिस सनाउल्लाह को डिटेंशन कैंप भेजा गया है, वह वो सनाउल्लाह नहीं है, जो कि बांग्लादेशी है।
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने एनआरसी की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि है कि कई लोगों ने उन्हें बताया है कि लिस्ट में माता-पिता का नाम है, लेकिन उनके बच्चों के नाम शामिल नहीं हैं। उदाहरण के लिए मोहम्मद सनाउल्लाह, जिन्होंने सेना में सेवा दी, उनका केस हाईकोर्ट में लंबित है। मुझे उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा।