इमरान पर बरसे बिलावल, कहा- अब तो मुजफ्फराबाद बचाना भी मुश्किल
इस्लामाबाद : कश्मीर पर भारत के फैसले के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दुनियाभर से समर्थन मांगते फिर रहे हैं। हालांकि उन्हें कहीं से समर्थन नहीं मिल रहा है। यहां तक कि इस्लामिक देश भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़े नजर नहीं आ रहे हैं। इस बीच इमरान खान अपने ही देश में घिरते जा रहे हैं। कश्मीर मुद्दे को लेकर इमरान सरकार पर तीखा वार करते हुए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता बिलावल भुट्टो ने कहा कि कहां तो पहले यह देश भारत से श्रीनगर छीनने की बात करता था, लेकिन अब मुजफ्फराबाद बचाने के भी लाले पड़ गए हैं।
इस्लामाबाद में पीपीपी की अहम बैठक के बाद बिलावल ने पाकिस्तान की फौज पर भी तंज कसा। उन्होंने साफ कहा कि इमरान खान 'इलेक्टेड नहीं सिलेक्टेड पीएम' हैं और देश की जनता 'सिलेक्टेड और सिलेक्टर्स' से जवाब मांग रही है। इमरान सरकार की आलोचना करते हुए बिलावल ने कहा कि पिछले एक साल का उनका कार्यकाल उम्मीदों को तोड़ने वाला रहा है और सरकार की गलत नीतियों का खामियाजा आज देश को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इमरान सरकार जिस तरह से हर मोर्चे पर नाकाम रही है, वैसी नाकामी पहले किसी हुकूमत के दौरान पाकिस्तान ने नहीं झेली।
इमरान पर निशाना साधते हुए पीपीपी प्रमुख ने कहा, 'आपने देश की अर्थव्यवस्था तबाह कर दी, हमने उसे भी बर्दाश्त किया। आप केवल सोते रहे और जागे तो बस विपक्षी नेताओं को दबाने के लिए। आप आराम से सोते रहे और मोदी ने हमसे कश्मीर छीन लिया।' नाराज दिख रहे बिलावल ने कहा, 'कश्मीर पर पहले हमारी नीति क्या होती थी? हम प्लान बनाते थे कि श्रीनगर को कैसे लिया जाए? लेकिन अब सिलेक्टेड पीएम और सिलेक्टर्स की वजह से हालात ऐसे बन गए हैं कि हमें सोचना पड़ रहा है कि हम मुजफ्फराबाद को बचाएं?'
इससे पहले पीपीपी ने गुरुवार को एक श्वेत पत्र जारी कर कहा था कि इमरान सरकार की नीतियों के कारण आज पाकिस्तान दुनिया में अलग-थलग पड़ गया है। इमरान सरकार के एक साल को पार्टी ने 'तबाही का एक साल' करार देते हुए यह भी कहा कि प्रधानमंत्री भले अपने पिछले एक साल के कार्यकाल को 'तब्दीली (परिवर्तन) का एक साल' करार देते हैं, पर वास्तव में बीते एक साल में पाकिस्तान अधिक असुरक्षित, अस्थिर और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कमजोर हुआ है। पार्टी ने यह भी कहा कि 'सिलेक्टेड सरकार' (सेना व अन्य सत्ता प्रतिष्ठान के समर्थन से बनी सरकार) ने पिछले एक साल के अपने कार्यकाल में विध्वंसकारी नीतियों, वादाखिलाफी और उम्मीदों को तोड़ने का रिकार्ड बनाया है।