CBI की दो घंटे की नोटिस पर चिदंबरम के वकील ने पूछा, कौन से क़ानून के तहत दी नोटिस
नई दिल्ली: आईएनएक्स मीडिया मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत की याचिका खारिज होने के बाद सीबीआई अधिकारी पूर्व वित्तमंत्री पी.चिदंबरम के दिल्ली स्थित आवास पहुंचे, लेकिन वहां उनसे मुलाकात नहीं होने पर अधिकारियों ने नोटिस जारी कर उन्हें दो घंटे में पेश होने का निर्देश दिया. इस पर चिदंबरम के वकील ने सीबीआई से पूछा है कि किस कानून के तहत उन्हें दो घंटे में पेश होने के लिए कहा गया है.
अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार शाम साढ़े छह बजे सीबीआई अधिकारी चिदंबरम के दिल्ली में जोर बाग स्थित आवास पहुंचे, पर वह वहां नहीं मिले. सीबीआई अधिकारियों का नेतृत्व पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी कर रहे थे. हालांकि, अभी स्पष्ट नहीं है कि अधिकारी चिदंबरम के आवास पर उन्हें गिरफ्तार करने गए थे या पूछताछ के लिए. अधिकारियों ने बताया कि चिदंबरम के आवास पर गई टीम के सदस्यों ने सीबीआई मुख्यालय आकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और भविष्य की रणनीति पर चर्चा की.
टीम के सदस्यों ने चिदंबरम के आवास पर नोटिस चस्पा किया जिसमें सीबीआई के उपाधीक्षक आर पार्थसारर्थी के समक्ष पेश होकर सीआरपीसी की धारा 161 के तहत बयान दर्ज कराने को कहा गया. सूत्रों ने बताया कि समन चिदंबरम को ई-मेल के जरिये भी भेजा गया है.
न्यूज एजेंसी एएनआई ने चिदंबरम के वकील अरशदीप सिंह खुराना के हवाले से लिखा है, 'मैं बताना चाहता हूं कि आपका नोटिस कानून के प्रावधान का उल्लेख करने में विफल रहता है जिसके तहत मेरे मुवक्किल को दो घंटे के भीतर हाजिर होने का नोटिस जारी किया गया है.'
साथ ही उन्होंने कहा है, 'उन्हें (चिदंबरम) को सुप्रीम कोर्ट ने आज सुबह 10:30 बजे कोर्ट के सामने आदेश के खिलाफ तत्काल विशेष अवकाश याचिका का उल्लेख करने की अनुमति दी है. इसलिए, मेरा अनुरोध है कि आप तब तक मेरे मुवक्किल के खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई न करें. और सुबह 10:30 बजे सुनवाई का इंतजार करें.'
बता दें, दिल्ली उच्च न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया मामले में मंगलवार को कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया और इसके साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री गहरे कानूनी संकट में घिरते दिखे और उन पर गिरफ्तारी का खतरा मंडराने लगा. अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आईएनएक्स मीडिया से जुड़े धनशोधन मामले में वह ‘सरगना और प्रमुख षड्यंत्रकारी' प्रतीत हो रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि प्रभावी जांच के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ करने की आवश्यकता है. अदालत ने कहा कि आईएनएक्स मीडिया घोटाला ‘धनशोधन का बेहतरीन उदाहरण' है. साथ ही कहा कि अपराध की गंभीरता और अदालत से मिली राहत के दौरान पूछताछ में स्पष्ट जवाब नहीं दिया जाना दो आधार हैं जिनके कारण उन्हें अग्रिम जमानत नहीं दी जा रही.
पूर्व वित्त और गृह मंत्री चिदंबरम को उच्चतम न्यायालय से भी तत्काल राहत नहीं मिली. इससे सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को उन्हें गिरफ्तार करने का रास्ता साफ हो गया. न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने कहा कि ऐसे मामले में जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा. न्यायमूर्ति गौड़ बृहस्पतिवार को अवकाशग्रहण करने वाले हैं. इस मामले में भ्रष्टाचार के आरोप भी शामिल हैं. उच्च न्यायालय ने 25 जुलाई, 2018 को चिदंबरम को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान की थी जिसे समय-समय पर बढ़ाया गया था.