मंदी की मंद मंद आहट, ऑटो के बाद एविएशन
चार बड़ी एयरलाइन्स कंपनियों को 5912 करोड़ का घाटा
नई दिल्ली: ऑटो सेक्टर के बाद अब एविएशन सेक्टर में भी मंदी के संकेत मिल रहे हैं। फायदे में चल रही इंडिगो समेत चार बड़ी कंपनियों को वित्त वर्ष 201-2019 के दौरान 5912 करोड़ का घाटा हुआ है। इस घाटे की वजह ऑपरेशनल कॉस्ट और टैक्स में बढ़ोतरी बताई जा रही है। इसके अलावा तेल के बढ़ते-घटते दाम भी घाटे की मुख्य वजहों में से एक है। खास बात यह है कि पिछले चार साल से प्रॉफिट दर्ज कर रही लो कॉस्ट कैरियर इंडिगो को भी वित्त वर्ष 2018-19 में घाटा झेलना पड़ा है।
‘संडे गार्जियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक इंडिगो को पिछले चार वर्षों से प्रॉफिट दर्ज कर रही थी। लेकिन वित्त वर्ष 2018-19 में कंपनी को 1,490 मिलियन रुपए का घाटा हुआ है। वहीं स्पाइसजेट को इस दौरान 2,661 मिलियन रुपए का नुकसान हुआ है। वहीं गो एयर को 8,970 मिलिनय रुपए जबकि सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया, एआई एक्सप्रेस और अलाइंस एयर को वित्त वर्ष 2018-19 में 46,000 मिलयन रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है।
एयरलाइन और विमानन विशेषज्ञों के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि एविएशन सेक्टर में प्रतिस्पर्धा आक्रमकता के साथ बढ़ रही है जिसका नतीजा यह है कि सीटों की संख्या अधिक हो गई है नतीजन एयरलाइन टिकट की कीमतों में भारी गिरावट आई है। इससे भारत में उच्च परिचालन लागत होने की वजह से एविएशन सेक्टर में संकट पैदा हो गया है।
वहीं एक एयरलाइन कंपनी के अधिकारी ने नाम ने बताने की शर्त पर बताया कि ‘लो कॉस्ट कैरियर्स द्वारा उठाए गए आक्रामक फैसलों ने एविएशन उद्योग के वित्तीय संकट को बढ़ा दिया है। अधिकारी ने कहा ‘इंडिगो जैसी कंपनी सस्ते टिकट उपलब्ध करवाकर सभी को चुनौती पेश करती है नतीजन फुल सर्विस कैरियर को भी सस्ते दाम में टिकट बेचनी पड़ती है। वहीं दूसरी तरफ, टैक्स दरों, तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और मेंटेनेंस कॉस्ट आदि में इजाफे से एविएशन कंपनियां घाटे को कम नहीं कर पा रही है।’
भारत में एविएशन एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि असीमित प्रतिस्पर्धा, उच्च परिचालन लागत के साथ ‘प्राइस वॉर’ और मौजूदा इकोनॉमिक स्लोडाउन एविएशन सेक्टर के संकट के प्रमुख कारण हैं। बता दें कि देश में ऑटो सेक्टर भी इन दिनों मंदी की चपेट में आया हुआ है। इससे ऑटो सेक्टर में उत्पादन प्रभावित हुआ है।