कई मानकों पर गुजरात से आगे है जम्मू-कश्मीर
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म करने पर देश में खुशी जाहिर की जा रही है इस बीच कुछ लोगों का कहना है कि अब जम्मू-कश्मीर का सही तरीके से विकास हो सकेगा। हालांकि, देश के विकसित राज्यों में शुमार और विकास के मॉडल स्टेट के रूप में विख्यात गुजरात से कई मानकों पर जम्मू-कश्मीर आज भी आगे है। केंद्र सरकार द्वारा कराए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 के आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में लिंगानुपात (प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाएं) जहां 950 है, वहीं जम्मू-कश्मीर में यह 972 है। यानी गुजरात में प्रति 1000 पुरुषों पर 950 महिलाएं हैं जबकि जम्मू-कश्मीर में यह बेहतर अवस्था में 972 है। राष्ट्रीय औसत लिंगानुपात की दर 896 है।
नवजात मृत्यु दर गुजरात में 34 है जबकि यह जम्मू-कश्मीर में 32 है। इसके पांच साल से कम उम्र में बच्चों की मौत की दर गुजरात में 43 है, जबकि जम्मू-कश्मीर में यह दर 38 है। हालांकि, दोनों ही राज्यों में कुल प्रजनन दर 2015-16 में 2 फीसदी है। महिलाओं की शिक्षा के मामले में भी गुजरात से आगे जम्मू कश्मीर है। रिपोर्ट के मुताबिक 10 या उससे अधिक साल तक स्कूल जाने वाली महिलाओं का आंकड़ा गुजरात में 33 फीसदी है, जबकि यह आंकड़ा जम्मू-कश्मीर में 37.2 फीसदी है।
मां-शिशु के स्वास्थ्य, महिला कल्याण और जननी योजना के अनुपालन में भी जम्मू-कश्मीर गुजरात से आगे है। जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत बच्चों के जन्म पर मिलने वाली सरकारी सहायता के मामले में गुजरात का आंकड़ा 8.9 फीसदी है जबकि जम्मू-कश्मीर में यह आंकड़ा 54 फीसदी है। इसके अलावा गुजरात में जहां सरकारी क्षेत्र में प्रत्येक प्रसव पर 2136 रुपये खर्च होते हैं, वहीं जम्मू-कश्मीर में यह खर्च की राशि बढ़कर 4,192 रुपये है। यानी जम्मू-कश्मीर में प्रसूतियों का विशेष ख्याल रखा जाता है।
बाल स्वास्थ्य और कल्याण के मामले में भी गुजरात से आगे जम्मू-कश्मीर है। रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक एक से दो साल के बीच बच्चों के संपूर्ण टीकाकरण की दर गुजरात में 50.4 फीसदी है जो जम्मू-कश्मीर में 75.1 फीसदी है। पांच साल के ऐसे बच्चे जिनका वजन मानक से कम है यानी अंडरवेट हैं, उसका आंकड़ा गुजरात में 39.3 फीसदी है जबकि यह दर जम्मू-कश्मीर में मात्र 16.6 फीसदी है। यानी जम्मू-कश्मीर के मुकाबले गुजरात में दोगुना बच्चे अंडरवेट (5 साल की उम्र तक) हैं।
बाल मृत्यु दर के मामले में जम्मू-कश्मीर से जो तीन राज्य आगे हैं वो हैं, केरल, तमिलनाडु और दिल्ली जबकि वे तीन राज्य जो देश में सबसे पीछे हैं उनके नाम हैं मध्य प्रदेश, असम और ओडिशा। राष्ट्रीय औसत बाल मृत्यु दर 33 है। लाइफ एक्सपेक्टेन्सी (जीवन प्रत्याशा) के मामले में भी गुजरात का आंकड़ा 69 साल है जबकि जम्मू-कश्मीर में यह 74 साल है। राष्ट्रीय औसत 68.7 साल है। केरल और दिल्ली का आंकड़ा क्रमश: 75.1 और 74.2 साल है। यूपी, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश इस मामले में सबसे नीचे है।
प्रजनन दर के मामले में जहां गुजरात में यह दर 2.2 है, वहीं जम्मू-कश्मीर में 1.7 है| गरीबी की दर में भी जम्मू-कश्मीर का हाल राष्ट्रीय औसत 21.9 फीसदी (2011-12 के आंकड़े) के मुकाबले 10.4 फीसदी है। केरल, हिमाचल और पंजाब इस मामले में जम्मू-कश्मीर से भी आगे है जबकि तीन राज्य जो सबसे पीछे हैं उनमें झारखंड, बिहार और ओडिशा शामिल हैं।
2017-18 के आंकड़ों के मुताबिक देश में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी है लेकिन जम्मू-कश्मीर में यह दर मात्र 5.3 फीसदी है।