सुषमा स्वराज ने ट्विटर को बना दिया था लोकतंत्र का औजार
नई दिल्ली: पहली बार भारत का कोई विदेश मंत्री सोशल मीडिया पर इतनी दिलचस्पी के साथ काम कर रहा था कि उसका डंका वर्चुअल दुनिया में भी बजा था. सुषमा के पहले विदेश में रहने वाले भारतीयों को भारतीय दूतावास तक समस्या पहुंचाने में बड़ी मशक्त करनी पड़ती थी.
नवंबर, 2010 में ट्विटर से जुड़ी सुषमा स्वराज कुछ ही माह के भीतर सोशल मीडिया पर दुनिया की सबसे ज्यादा फॉलोइंग पाने वाली विदेश मंत्री बन गई थीं. ट्विटर ने खुद इसकी घोषणा की थी. लेकिन, ट्विटर पर जिन लाखों लोगों की उन्होंने मदद की, वे उनके मुरीद हैं.
पहली बार ऐसा हुआ था कि भारत का कोई विदेश मंत्री सोशल मीडिया पर इतनी दिलचस्पी के साथ काम कर रहा था कि उसका डंका एक्चुअल और वर्चुअल, दोनों तरह की दुनिया में बज रहा था. अक्सर उनके मददगार रूप के कारण हर रोज सुषमा का कोई न कोई ट्वीट चर्चा में रहता था.
उन्होंने सरकार को सिखाया था कि सोशल मीडिया को जनमंच कैसे बनाया जा सकता है और यह कैसे लोकतंत्र का नया औजार साबित हो सकता है. सुषमा के पहले विदेश में रहने वाले भारतीयों को भारतीय दूतावास तक समस्या पहुंचाने में बड़ी मशक्त करनी पड़ती थी. लेकिन, उन्होंने यह मोर्चा संभाला तो हर किसी की पहुंच उन तक हो गई. कोई भी व्यक्ति छोटी सी छोटी समस्या को सुषमा तक ट्विटर से पहुंचाता और उसकी समस्या का समाधान आसानी से हो जाता.
सुषमा ने ट्विटर से कई बड़ी समस्याओं का समाधान किया. सुषमा का ट्विटर हैंडल खास नहीं, 'आम' था. वे सिर्फ भारतीयों की नहीं, बल्कि पड़ोसी पाकिस्तान के लोगों की भी निष्पक्ष मदद करती थीं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण साल 2017 के 11 अक्टूबर को सुषमा का ट्वीट है, जब पाकिस्तानी महिला नीलमा गफ्फार के पति ने विदेश मंत्री से इलाज के लिए वीजा मंजूरी का अनुरोध किया था. सुषमा ने तुरंत जवाब दिया, ''हम भारत में उनके इलाज के लिए वीजा दे रहे हैं.''