किराए की डिग्री से संचालित कालेज बन्द होने चाहिए
उ.प्र. राज्य के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर से सम्बद्ध जनपद कानपुर, सीतापुर, हरदोई, उन्न्ााव, औरैया, इटावा, फर्रूखाबाद, कन्न्ाौज, फतेहपुर के स्ववित्तपोषी एवं एडिड कालेजों में जाकर मैनें प्रबंधकों-प्राचार्यों से संपर्क किया और प्रकाशित विज्ञापनों पर वार्ता की। इन कालेज के लोगों द्वारा मुझसे कहा गया कि हम दो प्रकार के शिक्षक रखते है। प्रथम-काम-चलाऊ शिक्षक कालेज स्तर पर तथा दूसरे-शिक्षक वि.वि.से अनुमोदित होते हैं। दूसरे प्रकार के शिक्षक विश्वविद्यालय-प्रपत्रों में अनुमोदन तक सीमित होते हैं और इनमें से लगभग सभी अनुमोदित शिक्षक कभी भी कालेज नहीं आते हैं और उनकों 2500-3000 रुपए मासिक (डिग्री-किराया) एक मुस्त वार्षिक रकम नकद दी जाती है और उनकी जगह दूसरे लोगों से पढवाया जाता हैं तथा यदि कोई वि.वि. से अनुमोदित शिक्षक कालेज आकर पढाता है तो उसको 6000-10000 तक मासिक वेतन देकर कालेज में संचालित सभी पाठ्यक्रों की विषय कक्षाएँ पढानी होती हैं और शिक्षक तय वेतन नकद तक सीमित रहते है और वेतन खाता चैक-प्रपत्रों पर अग्रिम साइन कर प्रबंधक के पास जमा कराते हैं।
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर एवं उससे सम्बद्ध कालेजों में फर्जीबाडे़ अति चरम पर हैं। इस वि.वि. ने लगभग 1500 कालेजों को सम्बद्ध करके स्ववित्तपोषी कालेजों के प्राचार्य एवं शिक्षक पदों पर अधिकाँश ऐसे लोगों को अनुमोदित किया है जो अन्य विश्वविद्यालयों-कालेजों-विभागों.में नौकरी कर रहे है तथा वि.वि.से संबद्ध कालेज में अनुपस्थित रहकर शैक्षिक डिग्री प्रपत्रों का दुरुपयोग कर अवैध लाभ कमा रहे हैं। इनकी जगह प्राचार्य सीट पर प्रबंधक और उनके परिजन बैठते हैं तथा अनुमोदित शिक्षकों की जगह 1000.-2000 वेतन देकर आयोग्य-अमानक कम पढ़े लोग शिक्षण कार्य की खानापूर्ति कर रहे हैं तथा नकल एवं फर्जी उपस्थिति नाम पर अवैध कमाई जारी हैं। जिसके कारण उच्चशिक्षा, छात्र, समाज वं शिक्षण योग्य मानकीय विद्वजनों का जीवन बुरी तरह प्रभावित होकर नकल-डिग्री व्यापार प्रोत्साहित हो रहा है।
कानपुर वि.वि. से सम्बद्ध स्नातक, परास्नातक, बी.एड., डी.एल.एड., विधि, चिकित्सा आदि डिग्री कालेजों में अनुमोदित मानकीय प्राचार्य-शिक्षकों और छात्रों की लगातार अनुपस्थिति तथा अमानक-आयोग्य प्राचार्य-शिक्षक की पदासीनता और नकल डिग्री व्यापार लोगों की अवैध कमाई के साधन बने हुए हैं। इन कालेजों में माफिया-व्यापारी उनके सगे-सम्बन्धी परिजन और आपसी हितबद्ध अमानक ंप्रबन्ध समितियाँ बनाकर एवं स्वयंभू प्राचार्य बन अवैध कमाई में जुटे हुए हैं। इन कालेजों में शिक्षण शुल्क वसूलने के बावजूद न तो वि.वि.से अनुमोदित शिक्षक कालेज में आते है और न हो मानकीय शिक्षण होता है। इनमें अनेक कालेजों के एक ही भवन में दूसरे गेट्सं पर कान्वेंट से लेकर उच्चशिक्षा के अनेक स्कूलों की मान्यता तथा विषय के एक व्यक्ति-शिक्षक से कान्वेट से परास्नातक एव्र बी.एड. लाॅ, डी.एल.एड.छात्र-प्रशिणार्थियों की सभी कक्षाओं को पढवाया जा रहा है।
वि.वि. से अनुमोदित कालेजों के नदारत शिक्षकों-प्राचार्यों के वेतन-भुगतान के बैंक खातों का फर्जी संचालन, अनुमोदित शिक्षकों-प्राचार्यों के बावजूद अयोग्य-अमानक लोगों की कालेजों में दोहरी पदासीनता, कालेजों के उपस्थिति पंजिकाओं पर अनुमोदित शिक्षकों-प्राचार्यों के स्थान पर अयोग्य-अमानक लोगों की उपस्थिति साइन, कक्षाओं में सदैव अनुपस्थिति रहने वाले छात्रों की 75ः उपस्थिति बनाकर परीक्षा, पूर्व-फेल छात्रों से शिक्षण शुल्क वसूली, सी.सी.टी.वी. बगैर कालेज कक्षाओं का संचालन, शुल्क लेने के बावजूद मानकीय शिक्षकों केे शिक्षण का अभाव, उच्च शिक्षा के मानकों, की जबरदस्त उपेक्षा हो रही है।
कानपुर वि.वि. से सम्बद्ध कालेजों की अधिकांश (लगभग सभी) प्रबन्ध समितियों के पदाधिकारी वि.वि. एक्ट 1973 एवं सोसाइटी एक्ट 1856 के प्रतिकूल हैं जिनकी कार्यकारणी के अधिकांश पदाधिकारी राजनीतिक सदस्य, सरकारी वेतनभोगी, प्रशासनिक अधिकारियों के परिजन, राजनेता, शिक्षा माफिया, अपराधी और व्यक्ति विशेष और एक ही परिवार के सगे-संबंधी आपसी हितबद्ध हैं एवं अध्यक्ष-सचिव पद पर एक ही व्यक्ति-परिवार विरासत के रूप में विराजित हो रहा है। जिसे उच्च शिक्षा अधिकारियों एवं कानपुर विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता देकर अधिनियमों की उपेक्षा की जा रही है। इन प्रबंध समितियों के अधिकांश पदाधिकारी और उनके परिजन कालेज भवन में निवास कर राजनीतिक एवं व्यवसायिक गतिविधयाँ संचालित कर रहे हैं तथा यह डाइरेक्टर व इनके परिजन स्वयंभू प्राचार्य बनकर व प्राचार्य सीट पर बैठकर कालेज में अवैध वसूली कर रहे हैं।
कानपुर वि.वि. से सम्बद्ध कालेजों के अधिकांश रिटायर्ड शिक्षक-प्राचार्य पी-एच.डी. विहीन, अस्वस्थ्य, रोगी, स्ववित्तपोषी कालेजों के प्राचार्य-शिक्षक अपनी सेवाकाल में कक्षाध्यापन कार्य की सदैव उपेक्षा करने वाले रहे हैं इसके बावजूद मानदेय पद पर रखे जाने से मानदेय शिक्षक एवं कार्यवाहक-प्राचार्य द्वारा नियमित कक्षाएँ नही पढ़ाई जाती हैं जिससे छात्रों को मानकीय शिक्षण से वंचित होना पड़ रहा है तथा प्रबंधकों की कृपा एवं मानदेय में बंदरबांट से मनमानी उपस्थिति दर्ज हो रही है।
.कानपुर वि.वि. से संबद्ध कालेजों के पंजीकृत अधिकांश छात्र-छात्राएँ कालेज कक्षाओं में सदैव अनुपस्थित रहकर अन्य जिला-राज्य में रहकर कोचिंग, नौकरी, व्यापार में लगे हैं, जिनकी 75ः उपस्थिति दर्ज कर परीक्षा में शामिल किया जा रहा है।
कानपुर वि.वि. से संबद्ध बी.एड़., डी.एल.एड, ला, स्नातक-परास्नातक कालेजों में प्रथक मानक, मान्यता, पद, वेतन, प्राचार्य, शिक्षक, शिक्षण, पाठ्यक्रम, प्रबन्धन और शुल्क का निर्धारित प्रावधान होने के बावजूद इन कालेजों द्वारा भारी शुल्क तो वसूली जाती है परन्तु शिक्षकों को निर्धारित वेतन एवं प्रशिक्षणार्थियों-छात्रों को मानकीय व्यवस्था-शिक्षण नहीं दिया जाता है। विश्व विद्यालय में प्राचार्यों-शिक्षकों के अनुमोदन अवसर पर वि.वि. में सक्रिय शिक्षा-माफियाओं द्वारा रेट लिस्ट के आधार पर कालेज न जाने वाले शिक्षकों को रु.30-50 हजार वार्षिक, कालेज जाने वालों का रु.8-10 हजार मासिक वेतन पर एप्लीकेंट एवं उसके शैक्षिक प्रपत्र और विषय विशेषज्ञ उपलब्ध कराये जाते हैं। अनुमोदित लगभग 90ः शिक्षक और प्राचार्य सम्बन्घित कालेज नहीं जाते हैं। जिनकी जगह पर पर स्थानीय छात्रों-बेरोजगारों अयोग्यों को 3-5 हजार मासिक वेतन पर कार्यवाहक प्राचार्य-प्रोफेसर घोषित कर कालेज आने वाले बी.एड., ला, डी.एल.एड, बी.ए., एम.ए.सहित कान्वेट कक्षाओं को पूर्ववत पढवाया जा रहा है। वि.वि. से अनुमोदित प्राचार्य की सीट पर प्रबन्धसमिति के परिजन विराजमान हैं। वि.वि. से शिक्षकों-प्राचार्यों का अनुमोदन प्राप्त करने हेतु जिन लोगों का शिक्षक-प्राचार्य पद पर साक्षात्कार और अनुमोदन कराया जाता है उनके नाम वि.वि.में सक्रिय शिक्षा-माफिया रैकट्स द्वारा एप्लीकेण्ट के नाम और उनके शैक्षिक प्रपत्र व विषय विशेषज्ञ उपलब्ध कराए जाते हैं और यह लोग आवभगत कराकर रेट लिस्ट के आधार पर धन वसूलते हैं। कालेज न आने एप्लीकेंट शिक्षक 30-50 हजार वार्षिक, प्राचार्य को 1.5-2 लाख वार्षिक, प्रत्येक विषय विशेषज्ञ 10000 लेते हैं तथा कालेज जाने वाले अनुमोदित शिक्षकों को 8-10 हजार मासिक वेतन दिया जाता है जबकि खातों एवं वि.वि.प्रपत्रों में वेतन कुछ दर्ज होता है।
.कानपुर वि.वि. से संबद्ध अधिकांश स्ववित्तपोषी कालेजों के लगभग सभी कार्यरत शिक्षक और कार्यवाहक प्राचार्य अमानक, अयोग्य और विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित नहीं हैं। इन कालेजों में मानकीय शिक्षण, मानकीय लैब, मानकीय प्रयोगशालाओं और वैज्ञानिक उपकरणों आदि का पूर्णतः अभाव है। कहने को तो कालेज छात्रों का पंजीयन आॅन लाइन और शुल्क विश्वविद्यालय से निर्धारित प्रक्रिया अनुरूप जमा होती है परन्तु वास्तविकता यह है कि छात्रों से निर्धारित शुल्क लिए जाने के बावजूद बुक-बेग किट, प्रक्टीकल्स, टूर, परीक्षा सेंटर बनवाने, नकल करवाने, अंकपत्र, प्रपत्र सुधार और अनुपस्थित को उपस्थित में परिवर्तन के नाम पर मोटी रकम वसूल की जाती है तथा फेल छात्रों पूर्व छात्र की सुविधा न देकर कालेज-शिक्षण शुल्क वसूली जा रही है।
कानपुर वि.वि. से संबद्ध बी.एड़, विधि, डी.एल.एड., डिग्री, मेडिकल, बिजनेस मैंनेजमेंट कालेजों में प्रत्येक की अलग-अलग मान्यता, व्यवस्था-प्रबन्धन, प्रशासन, प्राचार्य, शिक्षक, शिक्षण, लैब, प्रयोगशाला, भूमि, भवन आदि का प्रावधान है इसके बावजूद विश्वविद्यालय से अनुमोदित प्राचायों-शिक्षकों का सम्बन्धित कालेजों से पलायन और अनुमोदित के स्थान पर अयोग्य व्यक्तियों की कालेजों में दोहरी नियुक्ति देकर उपस्थिति पंजिकाओं पर हस्ताक्षर व अध्यापन एवं कार्यवाहक प्राचार्य का कार्य, नेट-पीएच.डी.विहीन स्नातक-परास्नातक बेरोजगारों-वकीलों-बी.एड.-चिकित्सक-छात्रों-प्राथमिक-माध्यमिक स्कूली शिक्षकों से स्नातक परास्नातक-बी.एड., विधि, मेडिकल, डी.एल.एड. की कक्षाएँ पढ़वाया जाना, एक ही भवन-कक्षों में अलग-अलग गेट पर डिगी, महिला, ला, बी.एड.,डी.एल.एड., कांवेंट, सेंट्रल-यू.पी.बोर्ड़, कालेजों की मान्यता और विषय शिक्षक एक ही व्यक्ति से सभी कक्षाओं में पढ़ाना, शुल्क के रूप में मोटी रकम लेने के बावजूद योग्य लोगों को मानकीय वेतन न देकर अयोग्य व्यक्तियों से शिक्षण कार्य, प्रबंध समिति के परिजनों का प्राचार्य की सीट पर बैठना, कालेजों में प्रबन्धकों का निवास और राजनीतिक-व्यापरिक गतिविधियों के कारण मानकीय उच्चशिक्षा सहित छात्रों-प्रशिणार्थियों और देश-समाज का भविष्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
कानपुर वि.वि. से संबद्ध अनेक कालेजों के दलाल-प्रबंधतंत्र के लोग प्रबंधक-प्राचार्य के रूप में विवि.के चक्कर लगाते रहते हैं और कर्मियों से सांठ-गांठ कर लाभ कमाते हैं। स्ववित्तपोषी शिक्षकों को पिरीक्षा ड्यूटी पारिश्रमिक नहीं दिया जाता है। वि.वि. से संबद्ध स्ववित्तपोषी कालेजों और संचालित पाठ्यक्रमों की कक्षाओं के कक्षों में सी.सी.टी.वी.नहीं लगाए गए हैं। मानकीय शिक्षण इन कालेजों एवं एडिड कालेजों में नहीं हो रहा है। मानदेय शिक्षकों का कार्य मात्र कागज तक सीमित है। तथ्यों एवं फर्जीबाड़े-वास्तविक तथ्यों से समर्थित साक्ष्य कानपुर वि.वि.से संबद्ध स्ववित्तपोषी-एडिड कालेजों में सी.सी.टी.वी, अनुमोदित प्राचार्यों-शिक्षकों का संबंधित कालेज कार्यों से पलायन, अमानक प्राचार्यों-शिक्षकों के कालेज उपस्थिति पंजिकाओं में हस्ताक्षर, कार्य, अमानक व्यक्ति प्राचार्य सीट पर, शिक्षण अभाव, छात्रों की अनुपस्थिति, अवैध वसूली साक्ष्य कालेजों में मौजूद हैं। कानपुर वि.वि. से सम्बद्ध बी.एड., ला, डी.एल.एड., मैंनेजमेंट, आयुर्वेद, डिग्री कालेजों में उक्त तथ्यों के अतिरिक्त और भी अनेक अति गंभीर अनियमितिताएँ व्याप्त हैं। इनका अबिलम्ब भौतिक सत्यापन, औचक निरीक्षण व कार्यवाही अति आवश्यक है। स्ववित्तपोषी कालेजों हेतु वि.वि. अनुमोदित प्राचार्याें एवं शिक्षकों का सम्बन्धित कालेजों से पलायन तथा अनुमोदित प्राचार्यों-शिक्षकों की जगह अयोग्य-अमानक लोगों की पदासीनता के विरुद्ध कार्यवाही वं कालेज मान्यता निरस्त होनी चाहिए।
कानपुर वि.वि.से सम्बद्ध कालेजों से सम्बन्धित जिलों के मंडलायुुक्त-जिलाधिकारियों से डिग्री कालेजों का नियमित औचक निरीक्षण कराया जाना चाहिए तथा उच्चशिक्षा-यू.जी.सी. मानकों एवं वि.वि.-सोसाइटी एक्ट की उपेक्षा करने वाले फर्जी बाड़़ा आधारित डिग्री कालेजों मान्यता निरस्त की जानी चाहिए तथा शिक्षा विभाग-वि.वि. के अधिकारियों एवं पेनल के फर्जी निरीक्षणों पर अंकुश लगना चाहिए तथा कालेजों से गायब अनुमोदित प्राचार्यों-शिक्षकों डिग्री निरस्त कर कालेजों में पदासीन अमानक प्राचार्यों-शिक्षकों को दंडित किया जाना चाहिए। मानकीय अर्हताधारी योग्य शिक्षकों से ही शिक्षण कराया जाना चाहिए।
(डाॅ. नीतू सिंह तोमर)
एम.ए.,पी-एच.डी., समाजशास्त्र
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