सरकार की हताशा दर्शाता है रिजर्व बैंक के Surplus को हड़पने का प्रयास: पूर्व RBI गवर्नर
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने केंद्र की मोदी सरकार पर बड़ा हमला किया है। पूर्व गवर्नर ने कहा शुक्रवार को कहा कि रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट में सरकार का दखल अच्छी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक के अधिशेष भंडार (Surplus) को हड़पने की कोशिशों से सरकार की हताशा का पता चलता है।
सुब्बाराव ने आगाह करते हुए कहा कि आरबीआई के अधिशेष भंडार का मूल्य तय करते हुए सजग रहने की जरूरत है। हालांकि, विदेशी बाजारों में सरकारी बॉन्ड जारी कर धन जुटाने के मामले में सुब्बाराव ने कहा कि यदि ‘बाजार की गहराई मापने के लिए सरकारी बॉन्ड जारी किया जाता है तो उन्हें दिक्कत नहीं है, लेकिन विदेशी मुद्रा बाजार से नियमित रूप से धन जुटाने को लेकर सावधान रहने की जरूरत है।
सुब्बाराव सीएफए सोसायटी इंडिया के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। सुब्बाराव ने कहा कि यदि दुनिया में कहीं भी एक सरकार वहां कि केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट को हड़पना चाहती है तो यह ठीक बात नहीं है। इससे पता चलता है कि सरकार इस खजाने को लेकर काफी व्यग्र है।’
सुब्बाराव ने केंद्रीय बैंक के सरप्लस में हिस्सा लेने के सरकार के प्रयासों पर अपने विरोध का बचाव करते हुए कहा कि रिजर्व बैंक के जोखिम अन्य केंद्रीय बैंकों से अलग हैं। उसके लिए पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय परंपराओं और नियमों का अनुसरण करना पूरी तरह से फायदेमंद नहीं होगा।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर की टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब कहा जा रहा है कि बिमल जालान समिति अपनी रिपोर्ट तैयार करने के अंतिम चरण में है। समिति रिजर्व बैंक की पर्याप्त पूंजी की पहचान करने तथा अतिरिक्त राशि सरकार को हस्तांतरित करने के तौर तरीके के बारे में रिपोर्ट तैयार कर रही है।
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे के लिए केन्द्रीय बैंक के सरप्लस को लेकर सरकार और रिजर्व बैंक के बीच के खींचतान को मुख्य कारणों में से एक माना गया है। सुब्बाराव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय निवेशक सरकार और केंद्रीय बैंक दोनों के बैलेंस शीट पर गौर करते हैं। संकट के समय में ऋण देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष भी इसी तरीके को अपनाती है।