फार्मिंग 3.0 – भारतीय किसानों के समृद्ध भविष्य के लिए
टेक्नालाॅजी ने हमारे जीवन को परिवर्तित कर दिया है। इसका दूरगामी, गहन प्रभाव पड़ा है, इसने पारंपरिक चीजों को उलट-पलट कर रख दिया है और इसने न केवल चीजों को रूपांतरित किया है, बल्कि उनके करने के तरीकों में भी बदलाव लाया है। इस पर विचार करें -गाड़ी की सवारी ;राईड श्¨अरिंगद्धको प्रोत्साहन देने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी के पास अपनी एक कार भी नहीं है। दुनिया का सबसे बड़ा ‘होटल चेन’ चलाने वाली कंपनी के पास अपना एक भी होटल नहीं है। एक दिन गूगल और एप्पल आॅटोनोमस कार्स के निर्माताओं के रूप में दुनिया के सबसे बड़े आॅटोनिर्माता से मुकाबला कर सकती हैं। इसी तरह, भारतीय कृषि पर टेक्न¨लाॅजी का गहन एवं परिवर्तनकारी प्रभाव हो सकता है। यह बात प्रमाणित है कि ऊपर मैंने उन कंपनियों के उदाहरण दिये है, जिनके कारोबारी माॅडल टेक्न¨लाॅजी -आधारित हैं। कृषि के क्षेत्र में टेक्न¨लाॅजी का उतनी गहनतापूर्वक प्रयोग नहीं हुआ है। फिर भी, टेक्न¨लाॅजी को अपनाये जाने से संपूर्ण रूप से नई क्रांति को बढ़ावा मिल सकता है और अभूतपूर्व उत्पादनशीलता एवं समृद्धि के युग में प्रवेश किया जा सकता है। अशोक शर्मा,एमडी और सीईओ,महिंद्रा एग्री सॉल्यूशंस लिमिटेड के अनुसार, जिस तरह से चीजें आज हैं, भारत की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी की आजीविका कृषि एवं इससे संबंधित गतिविधियों से चलती है। लेकिन देश के 80 प्रतिशत से अधिक किसान छोटे और मामूली हैं, उनके खेतों का आकार औसतन दो हेक्टेयर्स से भी कम है। इस विखंडन के चलते, किसानों के पास उत्पादनशीलता या प्रोसेसिंग टेक्नोलाॅजी को आधुनिक बनाने के लिए न तो साधन मौजूद हैं, और न ही ये उच्च पैदावार वाले बीजों एवं उर्वरकों का उपयोग करते हैं। यह खराब उत्पादकता एवं कम आय का विषम चक्र है। इसके अलावा, परिवहन एवं भंडारण वितरण के लिए अपर्याप्त बुनियादी ढांचा से संबंधित जटिलताएं हैं। ये सभी संपूर्ण रूप से कृषि उत्पादन को प्रभावित करते हैं और किसान के पैदावार का मूल्य घटता है। टेक्न¨लाॅजी को अपनाकर इस चक्र को तोड़ा जा सकता है और भारत की कृषि भूमि की क्षमता बढ़ सकती है और देश के किसान समृद्ध हो सकते हैं। कई तरीकों से, यह पहले से है। स्मार्टफोन्स का बढ़ता उपयोग किसानों के लिए नये-नये अवसरों के द्वार खोल रहा है। सभी जगह मोबाइल फोन्स के इस बढ़ते उपयोग ने किसानों पर केंद्रित ऐप्स के विकास को आगे बढ़ाया है, जो 24/7 डिजिटल परामर्श मंच के रूप में कार्य करते हैं। ये ऐप्स किसानों को अत्यावश्यक रियल टाइम जानकारी प्रदान करते हैं, जैसे मौसम संबंधी आंकड़े, पूर्वानुमान, मंडी की कीमतें आदि और साथ ही, वे एक-दूसरे और कृषि विशेषज्ञों से संवाद कर सकते हैं, जिससे एक विशाल एवं विश्वसनीय तंत्र का निर्माण हो गया है। ये प्लेटफाॅम्र्स किसानों को आवश्यक जानकारी से लैस रखते हैं, जिससे उन्हें बेहतर मूल्यों पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है और वे अपने खेतों की देखभाल कर अधिक कुशलतापूर्वक उत्पादन कर पाते हैं। तकनीक-आधारित एक अन्य पहल है, किराये पर ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्र सेवा, जिसे कृषक समुदाय द्वारा पहले से ही जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है। जब भी किसानों को ट्रैक्टर/कृषि उपकरण की आवश्यकता हो, वे बस इस सेवा के जरिए इन्हें किराये पर ले सकते हैं और इसके लिए उन्हें इन परिसंपत्तियों के खरीदने में बहुमूल्य पूंजी फंसाने की जरूरत भी नहीं रह जाती। इससे धीरे-धीरे किंतु लगातार कृषि यंत्रीकरण में योगदान मिल रहा है, जिससे अंततोगत्वा किसानों का पैदावार बढ़ेगा और परिणामस्वरूप किसानों की आय बढ़ेगी। ये महज दो ऐसे उदाहरण है जिनके जरिए कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के लिए टेक्न¨लाॅजी का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन अभी यह शुरूआत है, यह धीरे-धीरे गति पकड़ेगा। उदाहरण के लिए, एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें जहां खेतों के ऊपर उड़कर ड्रोन्स आंकड़े इकट्ठा करते हैं, सैटेलाइट के जरिए प्रति एकड़ कृषि की पैदावार मापी जाती है, ‘स्मार्ट’ कृषि उपकरण मौसम, मृदा की स्थिति और किसी खास फसल के लिए आवश्यक पानी की मात्रा को बताते हैं। इससे सटीकता आयेगी, पैदावार बढ़ेगा और लागत घटेगी। मोबाइल-आधारित एप्लिकेशंस से दफ्तरशाही घटेगी, बिचैलिये की आवश्यकता नहीं होगी और आपूर्ति श्रृंखला छोटी होगी, जिससे खेती पर होने वाले बेकार के खर्चे खत्म हो जायेंगी। किसान को उसके पैदावार के लिए उचित और पूरी कीमत बिलेगी, जबकि उपभोक्ता के लिए कीमतों में गिरावट आयेगी। हम इस महत्वपूर्ण बदलाव को फार्मिंग 3.0 कहते हैं और पहले से ही इस पर काम चल रहा है। इस उन्नत चरण में, भारत सक्रियतापूर्वक खोजपरक कृषि की दिशा में बढ़ रहा है। सरकार और निजी क्षेत्र इस परिवर्तन का प्रभावी तरीके से उपयोग कर रहे हैं, ताकि मध्यवर्ती संस्थाओं की भूमिका को कम कर किसानों और ग्राहकों की अधिक कुशलतापूर्वक सेवा की जा सके। हम देख रहे हैं कि ढेर सारे युवा उद्यमी बेजोड़ सोच के साथ स्टार्ट-अप्स शुरू कर रहे हैं और परिचालन के परंपरागत तरीकों को चुनौती दे रहे हैं। यह चरण पूरी तरह से नवाचार, डिजिटल विस्फोट एवं सूक्ष्म कृषि का है, जिससे इस क्षेत्र को ‘व्यक्ति’, ‘प्रक्रिया’ और ‘टेक्न¨लाॅजी’ से जुड़ी चुनौतियों को दूर करने में मदद मिलेगी, जिससे अभी यह जूझ रही है।मेरा दृढ़ विश्वास है कि टेक्न¨लाॅजी द्वारा लाये गये समाधान, जिनका उद्देश्य ऋण, सुझाव, परामर्श सेवाओं या मार्केट लिंक की दृष्टि से भी अनौपचारिक एवं असंगठित संस्थाओं पर किसानों की निर्भरता को कम करना है, किसान की आमदनी दोगुनी करने के सपने को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है।