तीन तलाक बिल पास कराने में इन पार्टियों ने की मोदी सरकार की मदद
नई दिल्ली:मंगलवार (30 जुलाई) का दिन मोदी सरकार के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ। इस दिन लंबे अर्से से कानून बनने की राह देख रहा तीन तलाक बिल आखिर राज्यसभा से पारित हो गया। राज्यसभा से पारित होने के बाद अब इस पर सिर्फ राष्ट्पति की सहमति बाकी है। राष्ट्रपति से इस विधेयक को हरी झंडी मिलते ही यह कानून बन जाएगा। तीन तलाक बिल के राज्यसभा से पारित होने में सदन से वॉकआउट करने वाले दलों ने अप्रत्यक्ष तौर पर अहम भूमिका निभा डाली। कई बड़े दलों के अनुपस्थित रहने या वॉक आउट करने से विधेयक को पास कराने का रास्ता साफ हो गया।
जेडीयू, AIADMK, बीएसपी, एसपी और टीआरएस जैसे दलों ने बिल के संबंध में वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। सरकार को इन दलों के वॉकआउट करने और बीजेडी के समर्थन मिलने से तीन तलाक बिल को पास कराने में काफी सहायता मिली। गौरतलब है कि इसके पहले विपक्ष ने इस बिल को सलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, यह प्रस्ताव 100/84 से गिर गया। इसके बाद तीन तलाक बिल के लिए हुए वोटिंग के पक्ष में 99 वोट और विपक्ष में 84 वोट पड़े।
किसी भी बिल के कानून बनाने के लिए जरूरी होता है कि उसे लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा से भी पारित कराया जाए। तीन तलाक बिल लोकसभा से तीन बार पारित हो चुका था। पहले दो बार राज्यसभा में यह बिल गिर चुका था। लेकिन, इस बार इसकी राह कैसे आसान हो गई यह भी कम दिलचस्प नहीं है। दरअसल, AIADMK के 11, जेडीयू के 6, बीएसपी के 4 और पीडीपी के 2 सांसद राज्यसभा में मौजूद हैं। ये सभी 23 सांसद वोटिंग के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे। इसके अलावा एसपी के भी कुछ सांसद वोटिंग में शरीक नहीं हुए। 242 सदस्यों वाली राज्यसभा में बीजेपी के 78 और कांग्रेस 48 सांसद हैं। बिल को पारित कराने के लिए जरूरी संख्या बल 121 चाहिए थी।
लेकिन, वॉकआउट के बाद बड़ी संख्या में अनुपस्थिति के चलते सदन में जरूरी संख्या बल गिर गई और बीजेपी की स्थिति मजबूत हो गई। स्थिति को देखते हुए बीजेपी ने सदन में मौजूद रहने के लिए सभी सांसदों को व्हिप जारी किया था।
बिल के पारित होने की संभावना उस दौरान ज्यादा बढ़ गई जब जेडीयू और AIADMK के वॉकआउट के बाद सदन में 213 सदस्य ही बच गए। इसके बाद जब टीआरएस, बीएसपी और पीडीपी सांसद भी सदन से बाहर चले गए तो वोटिंग के दौरान सदन में 183 सदस्य रह गए। ऐसे में बीजेपी के लिए इस बार बिल पारित कराने का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया।