शिक्षा सर्वांगीण विकास का आधार बने: शिवकुमार
‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 स्कूली शिक्षा’ विषय पर गोष्ठी का आयोजन
लखनऊ विद्युत् परिषद, भारतीय शिक्षा समिति द्वारा ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 स्कूली शिक्षा’ विषयक गोष्ठी का आयोजन निरालानगर स्थित भारतीय शिक्षा शोध संस्थान के भाऊराव देवरस सभागार में किया गया.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्राथमिक शिक्षा उप्र के निदेशक सर्वेंद्र विक्रम सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही जबकि अध्यक्षता एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विवि उप्र के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने किया.
अपने संबोधन में सर्वेंद्र विक्रम सिंह ने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 भारत केंद्रित शिक्षा प्रणाली की कल्पना करती है. इस शिक्षा नीति के संकल्प स्पष्ट हैं. भारतीय ज्ञान को पुनर्जीवित करना बहुत ही सकारात्मक सोच है. थिअरी ऑफ नॉलेज से देश की शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन आएगा.
मुख्य अतिथि ने यह कहा कि इसका क्रियान्यवन सबसे जरूरी है. जवाबदेही भी तय होनी चाहिए. कुटुंब प्रबोधन का कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए.
कार्यक्रम को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए विद्याभारती के राष्ट्रीय मंत्री शिवकुमार ने कहा कि शिक्षा सर्वांगीण विकास का आधार बने ऐसा इस शिक्षा नीति में परिलक्षित होता है. यह शिक्षा नीति टुकड़ों में न बांटकर सबको समाहित करने वाली है.
शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक के महत्व को रेखांकित करते हुए शिवकुमार जी ने कहा कि शिक्षक सिर्फ विषय का अध्यापक नहीं होता वह समाज का शिक्षक होता है और इस नीति में शिक्षक के विकास पर बहुत जोर दिया गया है जोकि बहुत ही अच्छा व सकारात्मक कदम है.
उन्होंने कहा कि सभी को इसकी चिंता है कि इसका क्रियान्वयन कैसे होगा और यह चिंता स्वाभाविक है लेकिन हमें विश्वास है कि यह शिक्षा नीति लागू भी होगी.
उन्होंने कहा आज शिक्षा बाजार केंद्रित हो गई है. हमारी परिकल्पना रही है कि शिक्षा प्रगति की ओर तो ले जाय लेकिन अपनी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी हो और ऐसा इस शिक्षा नीति में दिखाई पड़ता है.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक व राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य कृष्ण मोहन त्रिपाठी ने कहा कि विद्यालयी शिक्षा पर नई शिक्षा नीति में प्री-प्राइमरी एजुकेशन से 12वीं तक की शिक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इसमें 3 से आठ वर्ष के बच्चे का एक ग्रुप हो, प्रारंभिक देखभाल और प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य किया जाए, उस पर विशेष ध्यान दिया जाए, ऐसी व्यवस्था का समावेश है। अलग से साहित्य का सृजन किया जाना चाहिए जिसकी जिम्मेदारी एनसीआरटी को दिया जाए। यहीं नहीं प्री-प्राइमरी एजुकेशन को राष्ट्रीय स्तर पर माना जाना चाहिए।
विधायक मानवेंद्र सिंह ने कहा कि शिक्षा में सुधार की आवश्यकता है। शिक्षा से ही देश का विकास होता है जिसके लिए हम अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि स्कूलों में जो पहले गर्मियों की छुटिï्टयां होती थीं वह बच्चों को मिलनी चाहिए। जिससे बच्चे अपना स्वाभाविक जीवन जी सकें। शिक्षा महंगी होती जा रही है इसे रोकना चाहिए।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो. विनय कुमार पाठक ने कहा कि स्कूली शिक्षा ही जीवन की गंगोत्री होती है। नई शिक्षा नीति में शिक्षा के बारे में जो संकल्पना और परिकल्पना की गई वह 60 से 70 प्रतिशत तक बात इस नई शिक्षा नीति में समावेशित की गई है। इस शिक्षा नीति में शिक्षकों के चयन, प्रशिक्षण पर ध्यान दिया गया है।
पुलिस महानिदेशक (विशेष जांच) महेंद्र मोदी ने कहा कि शिक्षा नीति रोजगारपरक होनी चाहिए.
लविवि की सांख्यिकी विभाग की प्रो. शीला मिश्रा ने शिशुओं को जन्म देने वाली माताओं के विकास पर भी नीति बनाने का सुझाव दिया.
आईआईटीआर के वैज्ञानिक डा. उमाशंकर श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षा में अंक लाने का दबाव खतरनाक है. पाठ्यक्रम में बदलाव बहुत जरूरी है और उसमें पर्यावरण का समावेश आज की जरूरत है.
कार्यक्रम की शुरूआत मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पांजलि व दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई. तत्पश्चात मां शारदा की वंदना के साथ गोष्ठी प्रारंभ हुई. अतिथि परिचय राजेंद्र बाबू ने कराया, कार्यक्रम का कुशल संचालन विद्याभारती पूर्वी उप्र के क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्र ने किया.
इस अवसर पर संयुक्त निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) वी. के.पांडेय, प्रो विभा दत्ता, प्रधानाचार्यगण हरेराम पाण्डेय, राम तीरथ वर्मा, अवधेश कुमार, राम नेवास सिंह, राम सागर तिवारी, डा. शिवभूषण त्रिपाठी, मनोज मिश्रा, केंद्रीय विद्यालय के पूर्व अध्यापक चंद्रभूषण तिवारी सहित बड़ी संख्या में शिक्षाविद्, गणगान्य नागरिक मौजूद रहे. आभार ज्ञापन विद्याभारती पूर्वी उप्र के बालिका शिक्षा प्रमुख उमाशंकर जी ने किया