सभी बड़े बकायेदारों के नाम सार्वजनिक किये जायेे: दिलीप चाौहान
बैंक राष्ट्रीयकरण के 50वें वर्ष पर अनेक कार्यक्रमों का होगा आयोजन
लखनऊ। बैंकों के राष्ट्रीयकरण के 50 वें स्वर्णिम वर्ष पर बैंक अधिकारी संगठन ‘आईबॉक’ की उ0प्र0 इकाई ने बैंकों के विलय, वेतन समझौते मे देरी तथा एवं बैंको के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में आज स्टेट बैंक मुख्य शाखा में एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया .
आईबॉक के प्रदेश महासचिव काम0 दिलीप चाौहान ने बताया कि राष्ट्रीयकरण के बाद बैंकों ने देश की अर्थव्यवस्था को हर मुश्किल समय में सम्भाले रखा चाहे वह रोज़गार सृजन की बात हो या 2008 की मंदी का समय हो लेकिन सरकार बैंकों को खत्म करने का का कुत्सित प्रयास कर रही है. सरकार जनता का धन कोर्पोरेट्स के हाथों में सौंपकर सबका ध्यान कार्पोरेट्स के एन.पी.ए. वसूली से हटाना चाहती है. राष्ट्रीयकरण के बाद के 50 वर्षो में राष्ट्रीयकृत बैंकों ने भारत को विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में मुख्य भूमिका निभाई है. उन्होंने आगे कहा कि ‘‘सभी बड़े बकायेदारों के नाम सार्वजनिक किये जाये जिससे कोई भी बैंक उन्हें नया ऋण न दे सके’’.
काम0 पवन कुमार, प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि सरकार कार्पोरेट सेक्टर से ऋण वसूली के स्थान पर उनको सरकारी संस्थान सौंपने की तैयारी में है, एकतरफ सरकार ऋण न चुकाने वाले कार्पोरेट घरानों को इण्डियन बैंकरप्टसी कोड के तहत छूट दे रही है वहीं सरकारी नीतियों का पालन करने वाले बैंकर्स का वेतन समझौता टाल रही है जिससे बैंक अधिकारियो और कर्मचारियों मे भारी रोष बढता जा रहा है.
उप-महामंत्री काम0 सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि सरकारी बैंकों का कार्यक्षेत्र वृहद है इसलिये सरकार को इसके हितों का संरक्षण करना चाहिये, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गाँधी जी ने देश को साहूकारों एवम बिचैलियों से मुक्ति दिलाने के लिये बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था जो कि सफल रहा, बैंको के विलय से उनकी कार्य क्षमता व शैली पर कुठाराघात होगा साथ ही आम जनता का नुकसान होगा और लोग यह बात जितनी जल्दी समझ लें उतना ही उनके लिये हितकर रहेगा.
संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष काम0 राम नाथ शुक्ला ने कहा कि पूरे विश्व में सबसे कम बेल आउट पैकेज पाने वाले भारतीय सरकारी बैंक ही भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य के तारणहार हैं, सरकार को विलय के बजाय सार्वजनिक बैंकिंग व्यवस्था को और मज़बूत करने पर ध्यान देना चाहिये और इन्फ्रास्ट्रक्चर फाईनेंसिंग के लिये नये सरकारी बैंक बनाने की आवश्यकता पर बल दिया.
काम0 विनय श्रीवास्तव, प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि सरकार का विलय और निजीकरण का एकतरफा प्रयास तथा बैंक, बीएसएनएल और तेल कंपनियों को बेचने का प्रयास भारत के संघीय अस्तित्व और समाजवाद पर सीधे चोट कर रहा है जो कि संविधान के मूल भावना के विपरीत है इसको तत्काल प्रभाव से रोकना चाहिये. इस अवसर पर धनंजय सिंह, एस.एस.प्रसाद, शशांक सिंह, आर.के.वर्मा, विवेक श्रीवास्तव आदि अधिकारी नेताओं ने भी अपने विचार रखे.
संगठन के प्रदेश मीडिया संयोजक अनिल तिवारी ने बताया कि कल 19 जुलाई को राष्ट्रीयकरण के स्वर्ण जयन्ती समारोह के उपलक्ष्य मे आइबोक सुबह 50 वृक्षारोपण के साथ स्वर्ण जयन्ती कार्यक्रम की शुरूआत करेगा तथा दिन भर विभिन्न कार्यक्रम और नुक्कड़ नाटक द्वारा जनजागरण के बाद सायं 6 बजे ऊर्दू अकादमी, विभूति खण्ड, गोमती नगर में “बैंक राष्ट्रीयकरण के 50 वर्ष और राष्ट्रीयकृत बैंक” विषयक संगोष्ठी आयोजित की जा रही है.