कोर्ट ये तय नहीं करेगा कि स्पीकर को क्या करना है: CJI
**SC ने बागी विधायकों को दिया झटका
नई दिल्ली: कर्नाटक में 11 दिनों से जारी सियासी उठापटक के बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायकों की अर्जी पर सुनवाई हो रही है. इस दौरान चीफ जस्टिस (सीजेआई) रंजन गोगोई ने बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी से विधायकों के इस्तीफे की तारीख पूछी. इसके अलावा उन्हें अयोग्य करार दिए जाने की तारीख भी पूछी. जिसके बाद बागी विधायकों की ओर से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, 'अगर व्यक्ति विधायक नहीं रहना चाहता है, तो कोई उन्हें फोर्स नहीं कर सकता है. विधायकों ने इस्तीफा देने का फैसला किया और वापस जनता के बीच जाने की ठानी है. अयोग्य करार दिया जाना इस इच्छा के खिलाफ होगा.'
रोहतगी ने कहा कि जिन विधायकों ने याचिका डाली है अगर उनकी मांग पूरी होती है तो कर्नाटक की सरकार गिर जाएगी. स्पीकर जबरन इस्तीफा नहीं रोक सकते हैं. इसी दौरान चीफ जस्टिस ने मुकुल रोहतगी से अयोग्य करार दिए जाने के नियमों के बारे में पूछा.
इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, 'हम ये तय नहीं करेंगे कि विधानसभा स्पीकर को क्या करना चाहिए, यानी उन्हें इस्तीफा स्वीकार करना चाहिए या नहीं. हालांकि, हम सिर्फ ये देख सकते हैं कि क्या संवैधानिक रूप से स्पीकर पहले किस मुद्दे पर निर्णय कर सकता है.' CJI ने कहा कि कोर्ट ये तय नहीं करेगा कि स्पीकर को क्या करना है.
बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने इस दौरान केरल, गोवा, तमिलनाडु हाईकोर्ट के कुछ फैसलों के बारे में बताया. जिसमें स्पीकर को पहले इस्तीफे पर विचार करने को कहा गया है और अयोग्य के लिए फैसले को बाद में. उन्होंने कहा कि केरल की अदालत ने तो तुरंत इस्तीफा स्वीकार करने की बात कही थी. रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि विधायकों के इस्तीफे को ऐसे लटका कर नहीं रखा जाना चाहिए. स्पीकर को जल्द से जल्द इसपर फैसला लेना चाहिए.
बता दें कि कांग्रेस-जेडीएस सरकार के 15 विधायकों ने अपने इस्तीफे को लेकर शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी. कर्नाटक के कुल बागी विधायकों में से 10 ने अपने इस्तीफे को लेकर 12 जुलाई को कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. इन विधायकों का आरोप था कि स्पीकर बिना वजह उनके इस्तीफे को मंजूरी देने में देरी कर रहे हैं. वहीं, सोमवार को पांच विधायकों आनंद सिंह, के सुधाकर, एन नागराज, मुनिरत्ना और रोशन बेग ने कोर्ट में याचिका दाखिल की हैं.