नैतिकता के नाम पर पहरेदारी वाली घटनाएं आर्थिक विकास के लिए गंभीर खतरा: आदि गोदरेज
नई दिल्ली: प्रसिद्ध उद्योगपति आदि गोदरेज ने शनिवार को चेताया कि असहिष्णुता, घृणित अपराध और नैतिकता के नाम पर पहरेदारी वाली घटनाएं राष्ट्र के आर्थिक विकास को ‘गंभीर नुकसान’ पहुंचा सकती हैं। हालांकि, गोदरेज ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान नए भारत का निर्माण और अर्थव्यवस्था का आकार लगभग दोगुना कर 5,000 अरब डॉलर तक पहुंचाने की ‘वृहद दूरदृष्टि’ के लिए उन्हें बधाई दी है।
गोदरेज ने कहा ‘हम एक ऐसे भारत की उम्मीद करते हैं जहां भय और संदेह का माहौल नहीं हो और राजनीतिक नेतृत्व पर जवाबदेह होने का भरोसा कर सकें।’ उन्होंने यह भी कहा कि देश में सब कुछ ठीक नहीं है। उन्होंने सामाजिक मोर्चे पर उभरी चिंताओं की ओर इशारा करते हुये आर्थिक विकास पर पड़ाने वाले उनके दुष्प्रभाव को लेकर चेतावनी दी है।
गोदरेज इंडियन इंक के पहले ऐसे कारोबारी हैं जिन्होंने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी बीफ के मुद्दे पर अपनी राय रखी थी। मई 2016 को एक इंटरव्यू में गोदरेज ने कहा था कि बीफ पर प्रतिबंध से भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। उनका कहना था कि प्रतिबंध अर्थव्यवस्था के साथ ही सामाजिक ढांचे के लिए भी ठीक नहीं है।
गोदरेज ने सेंट जेवियर कॉलेज की 150 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए चेतावनी दी, ‘सब कुछ ठीक ठाक है ऐसा नहीं है। हमें बड़े पैमाने पर बढ़ती साधनहीन बनाने की प्रवृति को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए जो आगे चलकर हमारी विकास गति को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
उन्होंने कहा कि ये हमें अपनी क्षमताओं का पूरा दोहन करने से रोक सकती है।’ देश के इस प्रमुख उद्योगपति ने इस बात को लेकर भी आगाह किया कि सामाजिक समरसता बढ़ाने के लिए देश में ‘बढ़ती असहिष्णुता, सामाजिक अस्थिरता, घृणा-अपराध, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, नैतिक पहरेदारी, जाति और धर्म आधारित हिंसा और कई अन्य तरह की असहिष्णुता दूर नहीं किया गया तो आर्थिक विकास प्रभावित होगा।’
उन्होंने कहा कि बेरोजगारी 6.1 प्रतिशत के चार दशक के उच्चतम स्तर पर है और इस समस्या का जल्द से जल्द निदान ढूंढा जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि ‘बड़े पैमाने पर’ जल संकट, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग और चिकित्सा सुविधाओं का पंगु होना, देश में स्वास्थ्य देखभाल का खर्च समकालीन उभरते देशों की तुलना में बहुत कम रहना कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनसे युद्ध स्तर पर निपटा जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि कई मुद्दों को बुनियादी स्तर पर सुलझाया जाना चाहिए।