लखनऊ: हाल में योगी सरकार द्वारा 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में डालने की कवायद तो विफल हो गयी है परन्तु अति पिछड़ी जातियों को आरक्षण कोटे में भागीदारी मिलने की कोई व्यवस्था नहीं हुयी है. यह एक सच्चाई है कि इन जातियों को ओबीसी सूची में मज़बूत जातियों के होने के कारण वांछित हिस्सेदारी नहीं मिल पा रही है क्योंकि यह जातियां उनकी अपेक्षा शैक्षिक एवं आर्थिक तौर पर अधिक पिछड़ी हुयी हैं. अतः इन जातियों को आरक्षण का लाभ तभी मिल सकता है जब ओबीसी के 27% आरक्षण में इनकी आबादी के अनुपात में इन का कोटा अलग कर दिया जाए. यह ज्ञातव्य है कि अतिपिछड़ी जातियों के लिए अलग आरक्षण कोटा की व्यवस्था कर्पूरी ठाकुर सरकार द्वारा बहुत पहले ही कर दी गयी थी जिससे उन्हें लाभ भी मिला है. इसी प्रकार की व्यवस्था कई अन्य राज्यों में भी है. यह भी उल्लेखनीय है कि मंडल आयोग की रिपोर्ट में इस प्रकार की संस्तुति पहले से ही मौजूद है. आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट लम्बे समय से इस मांग को उठाता रहा है.

उत्तर प्रदेश में सभी पार्टियों की सरकारें अतिपिछड़ी जातियों को ओबीसी आरक्षण कोटे में अलग कोटा देने की बजाये उन्हें एससी सूचि में डालने का असंवैधानिक काम करती रही हैं. इसे सबसे पहले मुलायम सिंह की सरकार ने 2006 में किया था जिसे इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था. इसके बाद इसी प्रकार की संस्तुति मायावती सरकार द्वारा भी केंद्र को भेजी गयी थी जो औचित्यपूर्ण न होने के कारण रद्द हो गयी थी. इसके बाद अखिलेश सरकार ने 2014 में केन्द्रीय सरकार को फिर प्रस्ताव भेजा था जो निरस्त हो गया था. इसके बावजूद भी अखिलेश सरकार ने संवैधानिक व्यवस्था को धत्ता बताते हुए 31 दिसंबर, 2016 को इन जातियों को पिछड़ी जातियों की सूची में से निकालने तथा एससी की सूचि में डालने का शासनदेश जारी कर दिया जिसे इलाहाबाद कोर्ट द्वारा 29.3.17 को स्टे कर दिया गया था. परन्तु इसके बावजूद भी योगी सरकार द्वारा 24 जून, 2019 को एक भ्रामक आदेश जारी कर दिया जिसे अब केन्द्रीय सरकार ने भी असंवैधानिक कार्वहियाँ करती रही हैं जो कि संविधान का उपहास है और लोकतंत्र के लिए खतरा है. यह सर्विदित है कि वर्तमान संवैधानिक व्यवस्था में राज्य सरकार को अनुसूचित जातियों की सूची में परिवर्तन करने का अधिकार नहीं है. यह अधिकार केवल संसद को है. राज्य भ्केंद्र को केवल संस्तुति भेज सकता है परन्तु सूची में परिवर्तन की कोई आदेश जारी नहीं कर सकता.

अतः आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट राजनीतिक पार्टियों की इन असंवैधानिक कार्रवाहियों की निंदा करता है, ऐसे आदेशों को जारी करने वाले अधिकारीयों को दण्डित करने तथा अतिपिछड़ी जातियों का आरक्षण कोटा अलग करने की मांग करता है.