योगी सरकार के फैसले को केंद्र ने बताया ‘असंवैधानिक’
17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करने से रोकने का दिया निर्देश
नई दिल्ली: केंद्र ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करने से रोकने का निर्देश दिया है। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री तावर चंद गहलोत ने राज्यसभा में कहा कि राज्य सरकार का यह कदम 'असंवैधानिक' है। संसद के ऊपरी सदन में बयान देते हुए गहलोत ने राज्य सरकार को उचित प्रक्रियाओं का पालन करने के लिए कहा है।
पिछले हफ्ते, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने के आदेश जारी किया । इन 17 अति पिछड़ी जातियों को एससी में शामिल किए जाने के लिए पहले भी कोशिशें की गई है। प्रदेश सरकार ने जिन 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया है उसमें निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा और गौड़ शामिल हैं। माना जाता है कि सूबे में इनकी आबादी करीब 14 प्रतिशत है।
उधर, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने 17 ओबीसी जातियों के एससी वर्ग में शामिल करने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को लोगों के साथ धोखा बताया। मायावती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार का ऐसा फैसला उन 17 जातियों के लोगों के साथ धोखा है क्योंकि अब उन्हें कहीं से भी कोई फायदा नहीं मिलने वाला है।
मायावती ने कहा, 'यह 17 ओबीसी जातियों के लोगों के साथ धोखा है क्योंकि उन्हें किसी भी वर्ग का फायदा नहीं मिलेगा क्योंकि यूपी सरकार उन्हें ओबीसी में नहीं गिनेगी और न ही उन्हें एससी वर्ग में जाने का फायदा मिलेगा। ऐसा इसलिए कि कोई भी सरकार केवल अपने आदेश से उन्हें किसी वर्ग से बाहर या उसमे शामिल नहीं कर सकती है।'
इसके साथ ही मायावती ने कहा था 'हमारी पार्टी ने तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार को 2007 में इन 17 जातियों को एससी वर्ग में शामिल करने के लिए चिट्ठी लिखी थी। हमने एससी वर्ग के लिए आरक्षण कोटा बढ़ाने की भी मांग रखी थी। हालांकि, न ही मौजूदा सरकार और न ही तब की सरकार ने इस पर कोई ध्यान दिया।'