सार्वजनिक क्षेत्र के मंदिरों का निजीकरण कर रही है मोदी सरकार : सोनिया गांधी
नई दिल्ली: संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को सरकार पर रेलवे की ‘‘बहुमूल्य संपत्तियों को निजी क्षेत्र के चंद हाथों को कौड़ियों के दाम पर बेचने’’ का आरोप लगाया और इस बात पर अफसोस जताया कि सरकार ने निगमीकरण के प्रयोग के लिए रायबरेली के माडर्न कोच कारखाने जैसी एक बेहद कामयाब परियोजना को चुना है।
उन्होंने निगमीकरण को निजीकरण की शुरुआत करार दिया। सोनिया गांधी ने लोकसभा में शून्यकाल में इस विषय को उठाया और कहा कि सरकार एक योजना के तहत उनके संसदीय क्षेत्र रायबरेली के मॉडर्न कोच कारखाने समेत रेलवे की कुछ उत्पादन इकाइयों का निगमीकरण करने जा रही है जो इन इकाइयों के निजीकरण की शुरुआत है।
उन्होंने कहा, ‘‘जो निगमीकरण का असली मायने नहीं जानते, उन्हें मैं बताना चाहती हूं कि यह दरअसल निजीकरण की शुरुआत है। यह देश की बहुमूल्य संपत्तियों को निजी क्षेत्र के चंद हाथों को कौड़ियों के दाम पर बेचने की प्रक्रिया है।’’
गांधी ने कहा कि इससे हजारों लोग बेरोजगार हो जाते हैं। संप्रग अध्यक्ष ने कहा, ‘‘असली चिंता तो इस बात की है सरकार ने इस प्रयोग के लिए रायबरेली के मॉडर्न कोच कारखाने को चुना है जो कई कामयाब परियोजनाओं में से एक है। जिन्हें पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व में तत्कालीन संप्रग सरकार ने देश के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यानी ‘मेक इन इंडिया’ के लिए शुरू किया था।’’
आज सोनिया गांधी ने शून्यकाल में ‘मेक इन इंडिया’ शब्द का भी उल्लेख किया और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल का भी जिक्र किया। सोनिया गांधी ने कहा कि इस कारखाने में आज बुनियादी क्षमता से ज्यादा उत्पादन होता है। यह भारतीय रेलवे का सबसे आधुनिक कारखाना है।
सबसे अच्छी इकाइयों में से एक है। सबसे बेहतर और सस्ते कोच बनाने के लिए मशहूर है। गांधी ने कहा कि दुख की बात है कि इस कारखाने में काम करने वाले 2000 से अधिक मजदूरों और कर्मचारियों और उनके परिवारों का भविष्य संकट में है।
उन्होंने कहा कि किसी के लिए भी समझना मुश्किल है कि क्यों यह सरकार ऐसी औद्योगिक इकाई का निगमीकरण करना चाहती है। गांधी ने कहा कि इस सरकार ने संसद में अलग से रेल बजट पेश करने की परंपरा क्यों बंद कर दी? पता नहीं।
उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने इस फैसले को गहरा राज बनाकर रखा। कारखानों की मजदूर यूनियनों और श्रमिकों को विश्वास में नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू) का बुनियादी उद्देश्य लोक कल्याण है, निजी पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना नहीं।
सोनिया गांधी ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पीएसयू को आधुनिक भारत का मंदिर कहा था। आज यह देखकर अफसोस होता है कि इस तरह के ज्यादातार ‘‘मंदिर’’ खतरे में हैं। मुनाफे के बावजूद कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा और कुछ खास पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें संकट में डाल दिया गया है।
उन्होंने कहा कि एचएएल, बीएसएनएल और एमटीएनएल के साथ क्या हो रहा है, किसी से छिपा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार से मेरा अनुरोध है कि रायबरेली की मॉडर्न कोच फैक्टरी और सार्वजनिक क्षेत्र की सभी संपत्तियों की पूरी रक्षा करे और इन्हें चलाने वाले मजदूरों और कर्मचारियों व उनके परिवारों के प्रति आदर और सम्मान का भाव रखे।’’