विधायक निधि से होगा बुंदेलखंड में जल संरक्षण का कार्य: स्वतंत्र देव
लखनऊ: स्वतंत्र देव सिंह परिवहन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार ने जल संरक्षण के संदर्भ में राज्य स्तरीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में जल को बचाने का संकल्प भारत के प्रत्येक नागरिक को लेने की जरूरत है जिस प्रकार से भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री ने जल संपन्नता के लिए समाज के सभी वर्गों का आवाहन किया है, उसी तरह से जल संरक्षण के कार्य में सब को आगे आना चाहिए, यह विचार उन्होंने परमार्थ समाज सेवी संस्थान एवं बुंदेलखंड जल मंच द्वारा कैफ़ी आज़मी सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर कहीं| उन्होंने कहा कि जीवन को बचाना है तो पानी को बचाना होगा जल संरचनाओं में जो लोग अतिक्रमण कर रहे हैं उन्हें अपनी मानवीय भूल का एहसास करके जल संरचनाओं को मुक्त कर देना चाहिए| अधिक से अधिक पेड़ लगाएं, उन्होंने संकल्प लिया कि वह अपनी विधायक निधि से बुंदेलखंड में जल संरक्षण का कार्य करायेगे| कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक सतर्कता महेंद्र मोदी ने कहा की पानी को इंजीनियरिंग नहीं बल्कि पानी के दर्शन से बचाया जा सकता है जल के संरक्षण में इंजीनियरिंग ने संरक्षण की जगह दोहन का काम अधिक किया है यही कारण है कि आज भूगर्भीय जल खत्म होता जा रहा है गिरता भूजल स्तर हम सब के लिए चिंता का विषय है| भूगर्भीय जल में वाटर रिचार्ज के समय अशुद्ध पानी को कतई ना मिलाएं नहीं तो हजारों साल का शुद्ध जल भी प्रदूषित हो जाएगा, वर्षा के जल को बोरवेल और सोखते के माध्यम से ही रिचार्ज करें| पानी के काम में अधिक बजट की जरूरत नहीं है बल्कि इच्छाशक्ति की जरूरत है उन्होंने अपने द्वारा जमीन पर प्रयोग करके तैयार किए गए एक से अधिक दर्जन मॉडलो के बारे बताया| उन्होंने कहा कि उनकी जो जल संरक्षण पद्धतियां हैं वह बहुत ही कम खर्चीली और जल संरक्षण के क्षेत्र में टिकाऊ है| केंद्रीय भूगर्भ जल बोर्ड के वरिष्ठ भूगर्भ जल विज्ञानी पीके त्रिपाठी ने कहा कि बुंदेलखंड सहित प्रदेश के कई इलाकों में जिस तेजी से भूगर्भीय जल नीचे जा रहा है यदि समय रहते उसे रोकने का काम नहीं किया गया तो हालात खराब होंगे| राजेंद्र सिंह उप कृषि निदेशक एस एम् आई ने कहा की भूगर्भीय जल की वृद्धि के लिए पानी के रिचार्ज को बढ़ाना होगा, प्रतिवर्ष 20 से 40 सेंटीमीटर जलस्तर नीचे जा रहा है, इसको रोकने के लिए तालाबों और जल संरक्षण के अन्य मॉडलों को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाए, खेत तालाब बुंदेलखंड में जल संरक्षण और सिंचाई के लिए वरदान साबित हो सकते हैं विवेकपूर्ण पानी के उपयोग के लिए टपक सिंचाई पद्धति का प्रयोग करना चाहिए| जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ संजय सिंह ने कहा की परंपरागत जल संरचनाओं के संरक्षण से ही भारत पानीदार होगा पिछले तीन दशकों में जिस प्रकार से हमने जल संरचनाओं के साथ उपेक्षा पूर्ण व्यवहार किया है उसी का नतीजा है कि आज 90% छोटी नदियां या तो सूख गई है या फिर बरसाती नाले बन के रह गई है, तालाब खत्म हो रहे हैं जिसके कारण कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो रही है, जनभागीदारी से हमें तालाबों को बचाना होगा पानी के दर्शन का ज्ञान जल साक्षरता के माध्यम से प्रत्येक नागरिक को कराना होगा तभी भारत दुष्काल मुक्त हो सकता है| सामाजिक कार्यकर्ता अनिल शर्मा ने कहा की 135 करोड़ लोगों को जल के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है इस अवसर पर बुंदेलखंड से आयी जल सहेली कमलेश कुमारी धर्मपुर सरीला ने कहा कि उन्होंने न केवल अपने गांव को पानीदार बनाया है बल्कि मटका फिल्टर को आरओ के विकल्प के रूप में पूरे गांव के लोगों को लागू करवाया| महोबा गांव से आए वृंदावन ने सूखे बुंदेलखंड में 2 एकड़ से अधिक इलाके में सफल बागवानी एवं मछली पालन जैसे काम करके एक मॉडल का निर्माण किया है| राजाराम ने बताया की इस जल संकट के दौर में कैसे कम लागत की खेती अपनाकर उन्होंने अपनी आजीविका को और अधिक किया| रविंद्र दुबे के द्वारा कैसे गाँव में जन सहयोग से तालाब को पुनर्जीवित किया गया बताया| गायत्री सिंह द्वारा अपने गांव ममना मैं जल संकट के बारे में बताया गया| रज्जू सिंह बरहरा ने इस जलवायु परिवर्तन में कैसे बागवानी मॉडल को सफल किया इसको प्रस्तुत किया| राजेश कुमार, बालक दास मोदी, लाल कुंती देवी आदि ने अपने विचार प्रस्तुत किए यह सब वह लोग इस कार्यशाला में आए थे जो बुंदेलखंड को पानीदार बनाने का काम कर रहे हैं धरातल पर इन्होंने अपने-अपने गांव को पानीदार बनाने का भागीरथी प्रयास प्रारंभ किया है कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे यूनाइटेड फाउंडेशन के सचिव सौरभ मिश्र ने कहा कि समुदाय में जल साक्षरता कर ही जल संरक्षण के कार्य को अधिक संपन्न बनाया जा सकता है, हम सभी को धरातल पर काम करने की आवश्यकता है बहता हुआ जल पीने के लिए सबसे सुरक्षित है जिसमें सूर्य की किरणें और चंद्रमा का अमृत आता है, इसलिए जल स्रोतों में गंदे पानी को हम को किसी भी परिस्थिति में नहीं मिलाना चाहिए| हमें बरगद, नीम जैसे पेड़ लगाने की आवश्यकता है जल संरक्षण पर काम करने वालों की वजह से ही सूखे कम हो सकता है हमें धरती के अंदर पानी को भरना होगा जिसके लिए सभी को जागरूक होकर इस काम में लगना होगा| कार्यशला के समापन अवसर पर शिवानी सिंह कार्यक्रम संयोजक एवं सतीश चंद के द्वारा अपने विचार प्रस्तुत किये गए|