पुरानी पेंशन बहाली पर एक बार फिर सड़क पर उतरेगें राज्य कर्मचारी
लखनऊ: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की आज राज्य स्तरीय कार्यसमिति की बैठक में पुरानी पेंशन बहाली सहित अन्य तय और समझौता युक्त मांगों पर सरकार के नकारात्मक रूख पर आक्रोष जाहिर करते हुए एक बार सड़क पर उतरने की हुकार भरी गई। प्रदेश अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक संचालन करते हुए प्रदेश महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने बताया कि पुरानी पेंशन, भर्तियों पर लगी रोक हटाने, आऊट सोसिंग समाप्त कर विभागीय संविदा या नियमित नियुक्ति सहित कई अन्य मांगों की प्रतिपूर्ति के प्रदेश कार्य समिति ने आन्दोलन तिथि तय कर दी है। प्रदेश समिति ने निर्णय लिया है कि 6 अगस्त को प्रदेश के समस्त जनपदों में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के बैनर तले धरना और प्रदर्शन किया जाएगा और 27 अगस्त को मशाल जुलूस निकाल कर प्रदेश के मुख्यमंत्री को अनुस्मारक ज्ञापन दिया जाएगा।
बैठक में पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे प्रमुखता से उठाने के उद्देश्य से परिषद द्वारा एक मांग की पूर्ति के लिए पुरानी पेंशन बहाली मंच के माध्यम से नौ माह तक प्रदेश स्तर पर कार्य किया गया। बैठक में स्पष्ट रूप से कहा गया कि प्रदेश के राज्य कर्मचारियों की जायज मांगों पर सिर्फ उच्च स्तर पर वार्ता और समझौते होते रहे लेकिन आदेश अब तक जारी नही किये गए। अब जबकि संसदीय चुनाव सम्पन्न हुए लम्बा समय बीत रहा है इसके बावजूद राज्य कर्मचारियों की जायज एवं तयशुदा मांगों पर कतिपय उच्चधिकारी अड़चन डालकर उलझा रहे है। कर्मचारियों की कैसलेश इलाज की सुविधा को तमाम आन्दोलनों एवं माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद कैबिनेट से पारित कराकर शासनादेश जारी करते हुए वर्तमान सरकार में इसका नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय कर्मचारी कैशलेश चिकित्सा रखा। परन्तु खेद का विषय है कि वर्तमान सरकार के गठन के दो वर्ष से अधिक हो गए लेकिन कतिपय अधिकारियों की अनदेखी का शिकार सरकार की यह महत्वकाॅक्षी योजना सकार न हो सकी।इसी तरह प्रोन्नति में कम मानक परन्तु उसके स्थान पर दिया जा रहा पदोन्नति वेतनमान (ए.सी.पी.) का मानदण्ड अतिउत्तम निर्धारित कर प्रक्रिया को और अधिक जटिल बनाने के साथ कर्मचारियो के साथ गुलामों जैसा बर्ताव किया जा रहा है। इसके अलावा इस बैठक में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिष्ंाद ने 11 सूत्रीय मांगों पर विस्तार से चर्चा करते हुए एक बार फिर सड़क पर उतरने का निर्णय लिया गया। बैठक में यह भी कहा गया कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की 11 सूत्रीय मांगों पर अब तक शासन की तरफ से क्या कार्रवाई की गई है उसकी समीक्षा स्वंय मुख्यमंत्री स्तर पर की जानी चाहिए तभी मुख्यमंत्री को इस बाॅत का पता चलेगा कि कतिपय अधिकारी सरकार को बदनाम कराने के नियत से तय और समझौता युक्त मांगों आदेश जारी नही किये जा रहे है।
इस बैठक को सम्बोधित करते हुए पीसीएस संघ के पूर्व अध्यक्ष बाबा हरदेव सिंह ने कहा कि कई बार सरकार के मुखिया और कर्मचारी संघों के बीच वार्ता न होने का फायदा कतिपय अधिकारी उठाते है जिसका परिणाम यह होता है कि अपनी ही सरकार के प्रति कर्मचारियों में निराशा उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि किसी भी आन्दोलन से पूर्व उच्च स्तर पर वार्ता अवश्य होनी चाहिए। परिषद के संगठन मंत्री संजीव गुपता ने कहा कि परिषद द्वारा लगातार राज्य कर्मचारियों की समस्याओं के सम्बंध पर मुख्य सचिव स्तर पर तमाम बैठक की जा चुकी है। मुख्य सचिव स्तर पर भी कई आदेश किये गए लेकिन शासन में बैठे कई अधिकारी आदेश जारी नही होने दे रहे है परिणाम यह है कि आज हमें एक बार फिर आन्दोलन के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। बैठक में परिषद के संरक्षक श्री भूपेश अवस्थी, श्री राजा भारत अवस्थी, इं. राकेश त्यागी, इं. जी.एन. ंिसह, संतोष कुमार तिवारी, रेनु शुक्ला, डा. नरेश, सरनाम सिंह, प्रभात मिश्रा, डी.एस. दीक्षित, अशोक सिंह, राधारमण, इन्द्रपाल तिवारी, अनुज कुमार शुक्ला, पवन सिंह, विनोद पाण्डेय, हेमन्त श्रीवास्तव,वी.एस. डोलिया, अमिता त्रिपाठी, धर्मेन्द्र सिंह, रामसुरेश सिंह, अविनाश चन्द्र