जगनमोहन रेड्डी ने दिया चंद्रबाबू नायडू के बंगले को तोड़ने का आदेश
हैदराबाद : आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने सोमवार को विपक्ष के नेता एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के आवास के समीप स्थित 'प्रजा वेदिका' बंगले को तोड़ने का आदेश दे दिया। इस भवन को मंगलवार से तोड़ा जाएगा। समझा जाता है कि इस फैसले के बाद जगनमोहन रेड्डी और नायडू के बीच राजनीतिक टकराव और बढ़ सकता है। आंध्र प्रदेश कैपिटल रिजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीसीआरडीए) ने तत्कालीन मुख्यमंत्री के आवास को विस्तार देते हुए 'प्रजा वेदिका' का निर्माण किया था। इस भवन का निर्माण लोगों की शिकायतें सुनने के लिए हुआ था और इसके निर्माण में आठ करोड़ रुपए की लागत आई थी। नायडू इस भवन का इस्तेमाल अपने आधिकारिक कार्यों एवं पार्टी की बैठकों के लिए करते थे।
जिलाधिकारियों की बैठक में अपने फैसले का बचाव करते हुए मुख्यमंत्री रेड्डी ने कहा, 'यदि कोई आदमी बिना अनुमति के निर्माण कार्य कराएगा तो अधिकारी उस भवन को तोड़ देंगे।' बता दें कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को कॉन्फ्रेंस हॉल को अपने कब्जे में ले लिया। वहीं, तेदेपा ने इस कदम को 'बदले की राजनीति' करार दिया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री के प्रति कोई शिष्टाचार नहीं दिखाया और उंदावल्ली स्थित इस इमारत से उनके सामान बाहर फेंक दिए गए। साल 2016 में आंध्र प्रदेश का प्रशासन जब हैदराबाद से अमरावती स्थानांतरित हुआ तब से नायडू कृष्णा नदी के तट पर स्थित उंदावल्ली के इस भवन में रहते आ रहे थे। हैदराबाद अब तेलंगाना की राजधानी है।
नायडू ने भवन में बैठक की अनुमति देने के लिए इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री रेड्डी को पत्र लिखा था। उन्होंने जगन सरकार से इस भवन को विपक्ष के नेता के आवास का हिस्सा घोषित करने का अनुरोध किया था लेकिन नायडू के इस अनुरोध को अनसुना करते हुए आंध्र प्रदेश सरकार ने 'प्रजा वेदिका' को अपने कब्जे में ले लिया। बता दें कि नायडू अभी देश से बाहर अपने परिवार के साथ छुट्टियों पर हैं। आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा है कि अब कलेक्टरों की बैठक इस भवन में होगी। इससे पहले कलेक्टरों की बैठक राज्य सचिवालय में हुआ करती थी।
आंध्र प्रदेश में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव कराए गए थे। इन दोनों चुनावों में चंद्रबाबू नायूड को तगड़ा झटका लगा। आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटों में से तेदेपा केवल तीन सीटें जीत पाई। जबकि वाईएसआर कांग्रेस 22 सीटों पर विजयी रही। विधानसभा चुनाव में तेदेपा को और बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। तेदेपा प्रदेश की 175 सीटों में से महज 23 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हो पाई जबकि जगनमोहन की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के खाते में 151 सीटें गईं। नायडू पहले एनडीए का हिस्सा थे लेकिन आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर वह उससे अलग हुए और चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनकी नीतियों की आलोचना की। चुनाव से पहले नायडू ने कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास किया लेकिन उनकी यह मुहिम सफल नहीं हो सकी।