धार्मिक आजादी पर अमेरिकी रिपोर्ट को केंद्र ने किया खारिज
नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने उस अमेरिकी रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि भारत में धर्म के नाम पर हिंसा बढ़ रही है. विदेश मंत्रालय ने रविवार को जारी किए गए बयान में कहा कि 'भारत को अपनी धर्मनिरपेक्ष साख पर गर्व है, यह सहिष्णुता और समावेशन की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के साथ सबसे बड़े लोकतंत्र और बहुलतावादी समाज के रूप में स्थित है.'
मंत्रालय ने कहा कि 'भारतीय संविधान अपने अल्पसंख्यक समुदायों सहित अपने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है. हम अपने नागरिकों के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकारों में किसी अन्य देश का हस्तक्षेप नहीं बर्दाश्त करेंगे.'
दरअसल अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी वार्षिक 2018 अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए. रिपोर्ट में कहा गया कि, 'हिंसक चरमपंथी हिंदू समूहों द्वारा अल्पसंख्यकों समुदायों, विशेष रूप से मुसलमानों के खिलाफ भीड़ का हमला पूरे साल जारी रहा.'
बता दें यह रिपोर्ट अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल आर. पोम्पेयो के भारत दौरे से पहले आई है. अपनी यात्रा के दौरान वह विदेश मंत्री के साथ बातचीत करेंगे और भारत सरकार के अन्य गणमान्य व्यक्तियों से मुलाकात करेंगे.
यह रिपोर्ट पोम्पेयो ने ही जारी किया था. यहूदी विरोधी गतिविधयों पर नजर रखने और उससे लड़ने के लिए विशेष दूत एवं अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कार्यालय का प्रमोशन करने की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की विदेश नीति में धार्मिक स्वतंत्रता को नई बुलंदी दी है.
पोम्पेयो ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता ट्रम्प प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है. विदेश मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर 2018 की वार्षिक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, 'ट्रम्प प्रशासन ने विदेश नीति में अभूतपूर्व रूप से धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया है.'