भाईचारे का पैग़ाम लेकर इंद्रेश कुमार पहुंचे दारुल उलूम देवबन्द
आरएसएस नेता ने मोहतमिम मुफ़्ती अबुल कासिम अन्सारी से की मुलाक़ात
तौसीफ़ कुरैशी
देवबन्द। विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षा के केन्द्र दारूल उलूम देवबन्द में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार पहुंचे देवबन्द, संस्था के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम अन्सारी से की मुलाकात।आरआरएस नेता करीब 20 मिनट तक रहे दारुल उलूम देवबन्द के अतिथिगृह में रहे।पत्रकारों से की वार्ता, मोहतमिम से मुलाक़ात को बताया शिष्टाचार भेंट।कही ऐसी बात जो हिन्दू-मुस्लिम के बीच दीवार खड़ी करने वालों को रास नही आएगी उन्होने कहा कि हिन्दुस्तान कटटरपंथ से नहीं प्यार मोहब्बत से चलेगा यही पैग़ाम लेकर आया हूँ।राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता व राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार गुरुवार को देर शाम दारुल उलूम देवबन्द में पहुंचे और संस्था के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम अन्सारी से मुलाकात की।इस दौरान इंद्रेश कुमार ने कहा कि यह उनकी शिष्टाचार मुलाकात है और वह यहां भाईचारे का पैगाम लेकर आए हैं।इंद्रेश कुमार ने एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि कुछ मुस्लिम नेता राजनीति के तहत मुसलमानों का वोट बटोरने के लिए उन्हें डराने का काम कर रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि देश कट्टरपंथी से नहीं बल्कि प्यार, मोहब्बत और आपसी सौहार्द से चलेगा।श्री इंद्रेश इस्लामिया डिग्री कॉलेज में गुरुवार को आयोजित मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के पैगाम-ए-इंसानियत कार्यक्रम में शिरकत करने के उपरांत आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार दारुल उलूम देवबन्द पहुंचे, जहां संस्था के अतिथिगृह में मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम अन्सारी ने हाथ मिलाकर उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया।वहीं मोहतमिम श्री अन्सारी ने इंद्रेश कुमार को संस्था के इतिहास और जंग-ए-आजादी में उलमा के किरदार की जानकारी दी। साथ ही कहा कि दारुल उलूम देवबन्द के दरवाजे यहां आने वाले सभी मेहमानों के लिए खुले हैं।इसके बाद आरएसएस नेता ने पत्रकारों से वार्ता में कहा कि वह भाईचारे का पैगाम लेकर देवबन्द आए हैं, इससे पूर्व भी वह वर्ष 2004 में दारुल उलूम देवबन्द आ चुके हैं।उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा और रोजगार के लिए रास्ते बनाए, जनता आपस में एकजुट होकर भाईचारे के साथ रहे इसी से देश की तरक्की संभव है।कोई भी धर्म हो, उस पर कायम रहना चाहिए। एक दूसरे के धर्म और उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।