आर्मी कमांडरों को भी किया जा सकता है जबरन रिटायर, जानिए क्यों?
नई दिल्ली: सुरक्षा में चूक के चलते जिन सैन्य ठिकानों पर बीते सालों में आतंकी हमले हुए हैं सरकार उनके प्रभारियों को जबरन रिटायर कर सकती है। सरकार अगर ये फैसला लेती है तो जम्मू और कश्मीर में उरी ब्रिगेड, सुंजुवान सैन्य शिविर और नगरोटा सैन्य ठिकानों के प्रभारियों पर इसकी गाज गिर सकती है। क्योंकि बीते दो-तीन सालों में इन्ही सैन्य कैम्पों पर आतंकवादियों ने सूरक्षा चूक का फायदा उठाते हुए हमले किए हैं।
केंद्र सरकार ने अपने इस प्रस्ताव की सिफारिश सेना से की है और इसपर विचार विमर्श किया जा रहा है। हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक सेना के एक अधिकारी ने अपनी पहचान उजागर न करने की शर्त पर इस बारे में जानकारी दी है।
अधिकारी ने बताया कि सरकार अधिकारियों को जबरन रिटायर करने पर विचार कर रही है। हालांकि इन अधाकारियों को जबरन रिटायर करने के बाद भी वह वह सभी लाभ मिलेंगे जिनके लिए वह प्रात्र होंगे। एक अन्य अधिकारी ने बताया नई सरकार के गठन के बाद से ही इस पर तेजी से विचार विमर्श किया जा रहा है। वहीं एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सेना ऑपरेशनल मुद्दों के कारण कमांडरों को सेवानिवृत्त करने के लिए उत्सुक नहीं है। इसपर कई आवश्यक कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं। सरकार क्या फिर से कार्रवाई करेगी?
बता दें कि बीते दो-तीन साल में सेना के 36 जवान अलग-अलग घटनाओं में शहीद हो चुके हैं। जिनमें से दो उरी और नरगोटा आतंकी हमले 2016 में अंजाम दिए गए थे जबकि तीसरा हमला पिछले साल सुंजवान कैम्प में हुआ था।
18 सितंबर 2016 में हुआ उरी आतंकी हमले में बड़ी चूक सामने आई थी। आतंकियों ने उरी सैन्य कैम्प में हमला कर 19 जवान को मार दिया था। इसके बाद नगरोटा में इसी साल नवंबर में आतंकी हमला किया था जिसमें 7 जवान शहीद हुए थे। वहीं पिछले साल फरवरी में सुंजवान कैम्प में हुए हमले में आतंकियों ने 11 जवान को मार दिया था।
जिसके बाद सेना द्वारा इन हमलों से पहले क्या-क्या चूक और लापरवाही हुई इसपर जांच की गई। जांच में कई स्तर पर चूक सामने आई। सरकार सूरक्षा में हुई चूक के लिए सेना के उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों को जिम्मेदार मान रही है। इसलिए गाज भी उनपर गिर सकती है।