नई दिल्ली: महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन की सरकार है और सीएम पद बीजेपी के देवेंद्र फणनवीस संभाल रहे हैं, इस गठबंधन में आपस में समय समय पर तकरार की खबरें आती रहती हैं और शिवसेना वहां की राजनीति में अपनी पार्टी का खासा दखल मानती है और उसका कहना है कि उनकी पार्टी बीजेपी के साथ महाराष्ट्र की सत्ता में प्रमुख सहयोगी है और इसको देखते हुए शिवसेना ने इस बार के चुनाव में अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा को और विस्तार देते हुए इस बार मुख्यमंत्री का पद शिवसेना को देने की बात कही है।

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में इस बात को लेकर मंशा जाहिर की गई है। शिवसेना ने सामना में लिखा है कि आने वाले चुनावों में राज्य में शिवसेना का सीएम हो, पार्टी ने कहा है कि शिवसेना का भले ही बीजेपी के साथ गठबंधन हो लेकिन शिवसेना अपने ही तेवर वाला संगठन है और उसका अपना अलग ही महत्व है। सामना में लिखा है-शिवसेना मतलब क्या? यह महाराष्ट्र और देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को गत 53 वर्षों में इसका अनुभव आ चुका है।

शिवसेना ने कहा कि आगामी इलेक्शन को देखते हुए शिवसेना से आदित्य ठाकरे सीएम पद के लिए बेहतर पसंद होंगे, शिवसेना ने कहा कि हम हर बार बीजेपी के प्रमुख सहयोगी रहे और सीएम पद बीजेपी को मिलता रहा है इस बार मुख्यमंत्री शिवसेना का होना चाहिए।

गौरतलब है कि 19 जून को शिवसेना का स्थापना दिवस होता है। पार्टी ने लिखा, '19 जून के दिन शिवसेना नामक एक तूफान का जन्म हुआ, तूफान और बवंडर अक्सर आते-जाते रहते हैं लेकिन शिवसेना नामक तूफान गत 52-53 वर्षों से लगातार उफान पर है।

गौरतलब है कि हाल ही में शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा था कि लोग चाहते हैं कि आदित्य ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम बनें। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता चाहती है कि प्रदेश की कमान एक युवा शख्स को मिले।

अभी कुछ दिन पहले शिवसेना यूथ विंग के वरुन देसाई ने कहा था कि बीजेपी और शिवसेना के बीच पावर शेयरिंग पर बात बन चुकी है। दोनों दल इस फार्मूले पर सहमत हैं कि ढाई ढाई साल के लिए सीएम की कमान दोनों दल संभाले। ये बात अलग है कि बीजेपी की तरफ से किसी तरह का बयान नहीं आया है।

अगर आदित्य ठाकरे चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं तो यह कुछ अलग होगा। बाला साहब ठाकरे या उद्धव ठाकरे ने कभी चुनाव नहीं लड़ा। दोनों शख्सियतें खुद सत्ता का हिस्सा न बनकर संगठन के विस्तार का काम करते रहे। जानकारों का कहना है कि बाला साहब ठाकरे हमेशा कहते रहे है कि वो सत्ता से दूर रहकर आम लोगों की सेवा करना ज्यादा पसंद करेंगे।

संगठन को उन्होंने शहरी इलाकों के साथ साथ ग्रामीण इलाकों में मजबूत बनाया। इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति में उन चेहरों को उभरने में मदद की जो शिवसेना की नीतियों से प्रभावित थे।

बता दें कि 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना दोनों एक दूसरे अलग होकर चुनाव लड़े थे। उस चुनाव के नतीजों में बीजेपी को शिवसेना से ज्यादा कामयाबी मिली थी। ये बात अलग है कि चुनाव के दौरान विरोध करने वाली शिवसेना सरकार का हिस्सा बनी। 2019 में आम चुनावों में बीजेपी और शिवसेना दोनों एक साथ मिलकर चुनाव लड़े और उसका असर नतीजों पर दिखाई भी दिया था।