मुर्शिदाबाद: पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। राज्य के मुर्शिदाबाद में शुक्रवार रात टीएमसी कार्यकर्ताओं के घरों पर बम फेंके गए। इस घटना में टीएमसी के तीन कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। मरने वाले टीएमसी कार्यकर्ताओं की पहचान खैरुद्दीन शेख और सोहेल राणा के रूप में हुई है।

घटना के बारे में खैरुद्दीन के बेटे मिलन शेख ने कहा कि हम जब सो रहे थे तभी अचानक हमारे घर पर बम फेंके गए। उन लोगों ने मेरे पिता की गोली मारकर हत्या कर दी। मिलन ने कहा कि कुछ दिन पहले उसके चाचा को मार दिया गया था। उसने इस हमले के पीछे कांग्रेस का हाथ बताया।

जिले के टीएमसी नेता अबू ताहेर ने घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मरने वाले टीएमसी कार्यकर्ता है। मृतक के परिवार वालों ने इस घटना के पीछे कांग्रेस के साथ ही भाजपा को भी जिम्मेदार ठहराया है। इससे पहले राज्य में भाजपा और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच पंचायत चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में लगातार हिंसा देखने को मिल रही है।

इस हिंसा के बीच राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। बैठक में टीएमसी के अलावा बीजेपी, कांग्रेस, भाजपा के साथ ही वाम दलों को भी आने का आमंत्रण दिया गया था। इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया। ममता का कहना था कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है। इससे राज्यपाल का कोई लेना देना नहीं है।

इससे पहले 9 जून को राज्य के बशीरघाट में हिंसा के दौरान भाजपा के दो और टीएमसी के एक कार्यकर्ता की मौत हो गई थी। नॉर्थ परगना के तहत आने वाले बशीरहाट में भाजपा के कार्यकर्ता प्रदीप मंडल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बंगाल में अपने कार्यकर्ताओं की मौत के बाद भाजपा के नेता मुकुल रॉय ने केंद्र सरकार से मामले में हस्तक्षेप करने को कहा था।

इसके साथ ही भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल भी बशीरहाट पहुंचा था। वहीं टीएमसी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में केंद्र की तरफ से पश्चिम बंगाल को भेजा गया परामर्श विपक्ष शासित राज्यों में ‘गहरा षड्यंत्र’और सत्ता हथियाने की चाल’ बताया था।