प्रस्पा का किसी भी पार्टी में विलय नहीं: शिवपाल
लखनऊ: प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का किसी भी दल में विलय नहीं होगा। इस तरह की अफवाहों पर कोई ध्यान ना दें। झूठे कयासों में कोई सच्चाई नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रसपा उत्तर प्रदेश में एक प्रतिबद्ध व प्रगतिशील प्रतिपक्ष की सशक्त भूमिका निभाएगी और संप्रदायिकता, भ्रष्टाचार थानों में लूट, कचहरियों में हो रही घूसखोरी के विरुद्ध सड़कों पर उतर आंदोलन करेगी।
श्री यादव ने आगे कहा कि भाजपा और आरएसएस ने राष्ट्रवाद को लेकर भ्रम फैलाया है। भारत का इतिहास साक्षी है कि सभी राष्ट्रवादी आंदोलन समाजवादियों ने चलाया है। बयालीस की क्रांति में लोहिया और जयप्रकाश की योगदान को पूरा देश जानता है। चंद्रशेखर आजाद,अशफाकउल्ला और भगत सिंह जितने बड़े समाजवादी थे उतने ही महान राष्ट्रवादी थे।प्रसपा राष्ट्रवाद व समाजवाद के वास्तविक विराट पहलुओं से अवगत कराने के लिए अभियान चलाएगी। इसके लिए प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करेगी।
श्री यादव ने आगे कहा कि प्रसपा का लक्ष्य 2022 में उत्तर प्रदेश में एक सशक्त सेकुलर व प्रगतिशील समाजवादी सरकार बनाना है। इसके लिए पीएसपी के सभी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने अपना काम शुरू कर दिया है। जो शीघ्र आपको सतह पर दिखेगा। प्रसपा सड़कों पर उतर जनता के सवालों पर लड़ेगी और लोकतंत्र को मजबूत करेगी। मोदी-योगी के सभी कार्य केवल भाषणों तक सीमित हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था कर्ज के जाल में फंसने के मुहाने पर खड़ी है, बेरोजगारी अपने चरम पर है, प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर ध्वस्त है, सड़कों पर बहू ल-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं, पत्रकारों साहित्यकारों व बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों के साथ उत्पीड़न किया जा रहा है। इन मुद्दों पर तथाकथित बड़े दल चुप हैं। प्रसपा ऐसे मुद्दों को लेकर जनता की जनता के बीच जाने की तैयारी कर रही है और शीघ्र ही मैं भी रख लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में निकलूंगा।
प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ने आगे कहा कि अखबारों में जब बलात्कार व भ्रष्टाचार की खबरें पढ़ता हूं तो मन मर्माहत होता है। पुलिस अपराधियों को पकड़ने के बजाय अन्य कामों में लगी हुई है। रेगुलर पुलिसिंग तक नहीं हो रही है। सरकार की प्राथमिकता सूची में कानून व्यवस्था नहीं है। भरी कचहरी में बार काउंसिल के अध्यक्ष की हत्या हो जा रही है और लापरवाह अधिकारियों पर कोई प्रभावशाली कार्यवाही नहीं हो रही है। योगी जी भले ही व्यक्तिगत रूप से ईमानदार और मेहनती है लेकिन उनके अधिकांश मंत्री व अफसर कमरों में बैठ कर भ्रष्टाचार में संलग्न हैं।