कांग्रस पार्टी में सिर्फ नेता ही नेता हैं कार्यकर्ता नहीं: विजय कुमार पाण्डेय
लखनऊ: अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राहुल गाँधी एवं राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती प्रियंका गाँधी को पत्र लिखकर पार्टी हित में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता बताई क्योंकि पार्टी में जमीनी हकीकत और जनाधार से दूर रहने वाले नेताओं और सलाहकारों का बर्चस्व कायम होने के कारण “मध्यम-वर्ग’ और “अंतिम-आदमी” से जमीनी स्तर का संपर्क टूट गया है, परम्परागत राजनीति पर ही पार्टी चलना चाहती है, संघर्ष करने वाले व्यक्ति को उचित स्थान नहीं मिलता है, जिसके कारण अन्य कार्यकर्ता में भी निराशा उत्पन्न होती है l
विजय कुमार पाण्डेय ने अपने सुझाव में कहा कि स्थानीय समस्याओं और चुनौतियों से संघर्ष में कार्यकर्ता को प्राथमिकता दी जाय, हाई कमान कल्चर बंद हो, एसी कल्चर राजनीति बंद हो टीवी और मीडिया के बाहर निकलकर जमीन पर संघर्ष हो उन्होंने अपने पत्र में जनप्रतिनिधियों के संबंध में लिखा कि कांग्रेस को आन्दोलन की भूमिका में लौटते हुए उनकी तनख्वाह और पेंशन देशहित में बंद करने की घोषणाकरे, लोकसभा और विधानसभा सत्र के अलावा अपने क्षेत्र में रहना अनिवार्य करे, कार्यकर्ताओं की सलाह पर “अंतिम-आदमी” की समस्याओं का समाधान करना और कराना, “अंतिम-आदमी” के साथ उनके हित में संघर्ष करना, ग्राम-सभाओं में शिविर लगाकर सीधा संवाद स्थापित करना, अपने क्षेत्र में किसी परिवार के साथ घटित अप्रिय घटना में शामिल होना अनिवार्य, क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति आमत्रित करे तो शामिल होना अनिवार्य, यदि कोई शिकायत हो तो सीधे केन्द्रीय नेतृत्व को अवगत कराने की व्यवस्था हो, और इस पर हुई कार्यवाही से उन्हें अवगत कराए जाने की व्यवस्था, उनके बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना अनिवार्य किया जाय, अपना और अपने परिवार का सरकारी अस्पताल में इलाज कराना अनिवार्य l
विजय कुमार पाण्डेय ने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के संबंध में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता बताते हुए सुझाव दिया कि क्षेत्रवार समस्याओं की रिपोर्ट बनाएं, रिपोर्ट राज्य कार्यालय को प्रेषित करें और उसकी सूचना केन्द्रीय कार्यालय को भी देने की व्यवस्था हो, संघर्ष की रणनीति और उसमें सहयोग का पूरा खाका तैयार करें, संघर्ष के उपरांत उसमें कितने लीग साथ आए और कितने लोगों ने नैतिक समर्थन दिया इसका विवरण रखा जाय, संघर्ष का अहिंसक होना अनिवार्य शर्त हो, स्थानीय कार्यकर्ताओं को उनके स्तर पर स्वायत्तता प्राप्त हो जिससे पार्टी को अपनी पार्टी के रूप में महसूस कर सकें, अपने संघर्ष का विस्तृत व्यौरा राज्य और केंद्र को भेजकर अवगत कराएँ, संघर्ष ही आगामी दायित्व का मानक तय किया जाय, संघर्षशील कार्यकर्ता की उपेक्षा न होने दी जाय, संघर्ष के रिपोर्ट कार्ड को दी जाए प्राथमिकता, संघर्ष के विषयों की जानकारी एकत्र किए जाने का फोरम बनाने की आवश्यकता, जनसमस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष को बनाया जाय दायित्व निर्धारण का मानक l
विजय पाण्डेय ने पार्टी में भी परिवर्तन किये जाने को आवश्यक बताया उनका सुझाव है कि पार्टी को सामन्तवादी सोच से मुक्त की जाय, जनाधार विहीन नेताओं को निःसंकोच दायित्व मुक्त किया जाय, पुरानी परम्परा के नेता जनमानस पर थोपने की व्यवस्था समाप्त की जाय, गंम्भीर मामलों पर जनता को निर्णय लेने की छूट दी जाय, राजस्थान और म.प्र. की स्थिति न बनाई जाय, जिससे जनाकांक्षा पर पार्टी के निर्णय को थोपने का आभास हो, संघर्ष कर रहे कार्यकर्त्ता के साथ पार्टी पदाधिकारियों का खड़ा होना किया जाय अनिवार्य, कार्यकर्ता/पद वितरण प्रणाली की प्रथा को बंद किया जाय समर्थक बनाने की आवश्यकता, गाँव,तहसील,ब्लाक और जिला स्तर की चुनौतियों से जुड़े रहने की पद्धति को विकसित किया जाय, जिन्हें गाँव का ज्ञान नहीं उनकी सलाह पर गाँव के लिए नीति और घोषणा न की जाय, जमीनी नेताओं और कार्यकर्ताओं से सलाह लेकर कार्य करे केन्द्रीय नेतृत्व l इसके लिए एक व्यवस्था बनाई जाय l
”अंतिम-आदमी” और मध्य-वर्ग को प्रभावित करने वाली शिक्षा-व्यवस्था पर कार्यनीति घोषित हो जिसमें शिक्षा के नाम पर प्राईवेट शिक्षण-संस्थानों में हो रही लूट पर अंकुश लगाने की हो घोषणा, महिला शिक्षा पूर्णतः शुल्क-मुक्त हो, प्रदेश, जिला, ब्लाक, तहसील और ग्राम-स्तर पर उच्च-स्थान प्राप्त करने वाली क्ररीब बीस लडकियों की शिक्षा की देखरेख करने की घोषणा हो, सरकारी शिक्षण-संस्थानों को उत्कृष्ट कोटि का करने की व्यवस्था हो, अपने-अपने क्षेत्र के शिक्षण-संस्थानों की स्थिति को उजागर करें कार्यकर्ता और उसके लिए अहिंसक संघर्ष प्रारम्भ हो, पार्टी शासित राज्यों में इसे करके बतौर माडल प्रस्तुत किया जाए, स्वास्थ्य सुविधा के लिए भी कार्यनीति बनाई जाए: प्रत्येक स्तर के सरकारी चिकित्सालय उच्च-स्तरीय सुविधा युक्त बनाएं जांए, प्रत्येक स्तर पर कार्यकर्ता उनकी सुविधाओं की गुणवत्ता पर नजर रखे और रिपोर्ट बनाकर भेजे, सरकार द्वारा भेजी जाने वाली दवाईयां और अन्य सामग्री लोगों को मिल रही हैं या नहीं इसकी विधिवत रिपोर्टिंग हो, प्रत्येक संस्थान में सहायक कार्यकर्ता का संपर्क नंबर हो जिससे लोग सहायता मांग सके, स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर हो रही लूट पर अंकुश लगाने की हो घोषणा, जिन राज्यों में सरकार है वहां पर डीजल और पेट्रोल पर राज्य का शुल्क हो माफ़, जिन राज्यों में सरकार है वहां की शिक्षा और स्वास्थ्य में लूट पर लगे रोंक l अन्य कदमों की घोषणा करके कार्यनीति बने जिसमें पटरी, फेरीवालों, पानवालों, खुमचा वाले दुकानदारों के हो रहे प्रशासनिक शोषण पर नीति घोषित हो, किसानों के लिए राज्यों में बने हेल्पलाईन, पीड़ित की समस्या न सुने जाने पर एक कार्यशील फोरम बनाया जाय, मध्यमवर्ग को सम्मान देने और उनकी सलाह को मिले प्राथमिकता, सोसल मीडिया पर मिलने वाली सलाहों पर गहन विचार करने की व्यवस्था बनाई जाय, नकारात्मक विचारों और टिप्पणियों से बचा जाय, जमीनी विरोध को मिले प्राथमिकता और कुशल प्रवक्ताओं की नियुक्ति की जाय इत्यादि l
विजय पाण्डेय ने कहा कि कांग्रेस को अपने आन्दोलनकारी स्वरूप में आने की आवश्यकता है जिससे “अंतिम-आदमी” दुबारा विश्वास करके कांग्रेस से जुड़ सके l उसे कांग्रेस में ही अपना दुःख-दर्द दिखाई दे l इसके लिए तमाम ऐसे विषय और लोग हैं जो कार्य करके एक नई कांग्रेस को खड़ी करने में सक्षम हैं l क्षेत्रीय दलों की ब्लैकमेलिंग से निकलना है तो अपना जनाधार बढ़ाने की अति-आवश्यकता है l