नई दिल्ली: गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी पढ़ाने का प्रस्ताव देने वाली शिक्षा नीति के मसौदे पर विवाद होने के बाद केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति के मसौदे में बदलाव किया है. केंद्र सरकार ने विवादित 'हिंदी क्लॉज' को हटा दिया. दक्षिण राज्यों में इस नीति को लेकर विवाद पैदा होने के बाद केंद्री सरकार ने इसमें बदलाव का फैसला लिया है. बता दें, रविवार को केंद्र सरकार ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि किसी भी राज्य पर हिंदी थोपी नहीं जाएगी. इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मामले में अपने ट्विटर पर संदेश प्रसारित किए और यह भरोसा दिलाया कि इस ड्राफ्ट को अमल में लाने से पहले इसकी समीक्षा की जाएगी. मोदी सरकार के ये दोनों ही मंत्री तमिलनाडु से हैं.

स्कूलों में त्रिभाषा फार्मूले संबंधी नई शिक्षा नीति के मसौदे पर उठे विवाद के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक' ने स्पष्ट किया था कि सरकार अपनी नीति के तहत सभी भारतीय भाषाओं के विकास को प्रतिबद्ध है और किसी प्रदेश पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी. निशंक ने स्पष्ट किया था, ‘हमें नई शिक्षा नीति का मसौदा प्राप्त हुआ है, यह रिपोर्ट है. इस पर लोगों एवं विभिन्न पक्षकारों की राय ली जायेगी, उसके बाद ही कुछ होगा. कहीं न कहीं लोगों को गलतफहमी हुई है.'

उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार, सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करती है और हम सभी भाषाओं के विकास को प्रतिबद्ध है. किसी प्रदेश पर कोई भाषा नहीं थोपी जायेगी. यही हमारी नीति है, इसलिये इस पर विवाद का कोई प्रश्न ही नहीं है. निशंक ने कहा, ‘कुछ लोग इसे लेकर राजनीतिक विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि ऐसा कुछ नहीं है. अभी तो यह केवल मसौदा है.'

बता दें, पिछले शुक्रवार को के. कस्तूरीरंगन समिति ने नई शिक्षा नीति का मसौदा सरकार को सौंपा था . इसके तहत नई शिक्षा नीति में तीन भाषा प्रणाली को लेकर केंद्र के प्रस्ताव पर हंगामा मचना शुरू हो गया है. इसे लेकर तमिलनाडु से विरोध की आवाज उठ रही है.