जगन मोहन रेड्डी बने आंध्र प्रदेश के नए सीएम
नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद जगन राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले दूसरे व्यक्ति हैं। राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन ने 46 वर्षीय जगन मोहन रेड्डी को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
शपथ ग्रहण समारोह विजयवाड़ा के इंदिरा गांधी म्यूनिसिपल स्टेडियम में आयोजित किया गया। इससे पहले जगन खुली जीप में लोगों का अभिवादन करते हुए स्टेडियम में पहुंचे थे। जगन की पार्टी ने इस बार हुए विधानसभा चुनाव में 175 सीटों वाली विधानसभा में 151 सीटें जीती थीं।
वहीं, चंद्र बाबू नायडू के नेतृत्व में सत्ताधारी तेलुगू देशम पार्टी महज 23 सीटों पर सिमट कर रह गई। इससे पहले 2014 में टीडीपी ने 102 सीटें जीती थीं। शपथ ग्रहण समारोह में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और डीएमके के अध्यक्ष एमके स्टालिन भी मौजूद थे।
जगन आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के बेटे हैं। वे कडप्पा सीट से सांसद भी रहे हैं। जगन के पिता राजशेखर रेड्डी की 2009 में हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी। इसके बाद से उन्हें कांग्रेस पार्टी की तरफ से पिता की जगह मिलने की उम्मीद थी।
हालांकि, कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से उन्हें निराशा हाथ लगी। कांग्रेस पार्टी से नाराज होकर जगन 2011 में अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाई। पार्टी का नाम उन्होंने अपने पिता वाईएस राजशेखर के नाम पर रखा। इसके बाद उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया।
341 दिन की पैदल यात्राः जगन ने लोगों के साथ संपर्क करने के लिए 341 दिन में 3648 किलोमीटर की पद यात्रा की। इससे ना वे प्रदेश के लोगों से मिले बल्कि इससे उनके पक्ष में जन माहौल भी तैयार हुआ। उन्होंने अपनी पद यात्रा में 175 में 136 विधानसभा क्षेत्र के लोगों से संपर्क किया। इसके बाद उन्होंने आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए भी पदयात्रा निकाली। इन दो पदयात्राओं ने उन्हें राज्य के शीर्ष पद पर पहुंचाने में मदद की।
दलित, मुस्लिम वोटरों को लुभाने पर जोरः उन्होंने लोगों से ‘घर तक सरकार’ जैसे वादे किए। पार्टी ने राज्य में दलित और मुस्लिम वोटरों को लुभाने पर पूरा जोर दिया। इससे पहले जगन के पिता ने भी साल 2004 में पदयात्रा कर राज्य में 10 साल पुरानी चंद्र बाबू नायडू की सरकार को सत्ता से बाहर किया था। जगन ने भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चलकर सफलता हासिल की।