मदर डेयरी में 1000 करोड़ का घोटाला?
नई दिल्ली: मदर डेयरी फ्रूट एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड में कथित तौर पर 1000 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। लखनऊ निवासी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने कंपनी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस से जांच की मांग की। आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) ने इस संबंध में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के सचिव को जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने कृषि मंत्रालय के सचिव को भी इस संबंध में शिकायत की है।
सूत्रों के हवाले से लिखी गई एक अंग्रेजी अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक डीईए को 15 अप्रैल को शिकायत मिली थी, जिसे 29 अप्रैल को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को भेज दिया गया। अपने पत्र में शिकायतकर्ता ने मदर डेयरी में 1000 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया है। मदर डेयरी पूरी तरह से नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के अंतर्गत आती है।
बता दें कि 30 अप्रैल को मदर डेयरी में संग्राम चौधरी को नया मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया है। उनकी नियुक्ति सीईओ संजीव खन्ना के कंपनी छोड़ने के बाद हुई थी। 5 अप्रैल को अंग्रेज़ी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने बताया था कि मदर डेयरी ने 20 अगस्त 2018 से 30 अगस्त 2018 के बीच आईएल एंड एफएस में 190 करोड़ रुपए का निवेश किया था। इस दौरान सिलसिलेवार लेनदेन हुए।
रिपोर्ट में आगे उस पत्र का भी जिक्र है जो खन्ना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 13 फरवरी 2019 को भेजा था। इस पत्र में खन्ना ने प्रधानमंत्री से आईएल एंड एफएस से बकाया राशि की वसूली करवाने के लिए हस्तक्षेप की भी मांग की थी। डीईए ने उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्री के साथ-साथ सीबीडीटी के चेयरमैन को भी यह पत्र भेजा था।
शिकायतकर्ता ने कहा कि आईएल एंड एफएस में 190 करोड़ के निवेश समेत करीब 1000 करोड़ रुपए के इस घोटाले को तब अंजाम दिया जब कंपनी पहले ही अपने दस्तावेजों को लेकर मुश्किल में है। शिकायतकर्ता के मुताबिक नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड से मिले 450 करोड़ रुपए में से भी 100 करोड़ रुपए की गड़बड़ी को अंजाम दिया गया है। यह पैसा अवैध रूप से बनाई गई कंपनियों में लगा था, जो बाद में गायब हो गईं।
शिकायकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि 2004 से 2014 के बीच कंपनी ने सहकारी समितियों के अलावा दूसरे स्रोतों से दूध खर्च करने में करीब 180 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च किए। इसके अलावा मदर डेयरी के ज्वॉइंट वेंचर सफारी नेशनल एक्सचेंज और जिग्नेश शाह की फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी इंडिया लिमिटेड के जरिये भी धोखाधड़ी का आरोप लगा है।
मदर डेयरी को नेशनल डेयरी प्लान स्कीम के तहत 2014 से 2019 के बीच दुग्ध उत्पादक कंपनियों की स्थापना के लिए भारत सरकार से भी 500 करोड़ रुपए मिले थे। शिकायतकर्ता के मुताबिक अब तक यह भी जानकारी नहीं मिली है कि निजी डेयरियों को दूध की सप्लाई के लिए कितने पैसे दिए गए। उनके मुताबिक इस दूध को फर्जीवाड़े के जरिये दुग्ध उत्पादक कंपनियों से खरीदा हुआ बताया गया है।
सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए मदर डेयरी के प्रवक्ता ने कहा, ‘मदर डेयरी को न तो वित्त मंत्रालय और न ही कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय से इस संबंध में न तो कोई जानकारी मिली है और न ही स्पष्टीकरण मांगा गया है। साथ ही स्पेशल फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर की तरफ से भी जांच या पूछताछ के संबंध में कोई बातचीत नहीं हुई है। जो आरोप लगाए गए हैं वे सच से कोसों दूर हैं। सच यह है कि मदर डेयरी का स्वामित्व नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के पास है, जिसकी स्थापना संसद के अधिनियम द्वारा 1987 में की गई थी। मदर डेयरी की कोई सहायक कंपनी नहीं है और हम आरोपों का खंडन करते हैं।’