इंडिया स्टडी ने महिंद्रा को बताया भारत का सबसे आकर्षक ट्रैक्टर ब्रांड
भारत के 16 शहरों में 5,000 ब्रांड्स पर किये गये एक अध्ययन में, महिंद्रा ट्रैक्टर्स – जो 20.7 बिलियन अमेरिकी डाॅलर वाले महिंद्रा समूह के अंग हैं – को भारत के सबसे आकर्षक ट्रैक्टर ब्रांड के रूप में पहचान मिली है। ट्रस्ट रिसर्च एडवायजरी (टीआरए) ने अपनी रिपोर्ट के पांचवें संस्करण, ‘इंडिया’ज मोस्ट अट्रैक्टिव ब्रांड्स’ – इंडिया स्टडी 2018 में यह खुलासा किया है। यह अध्ययन टीआरए के प्रोप्रायटरी ‘ब्रांड अट्रैक्टिवनेस मैट्रिक्स’ पर आधारित है, जिसमें ब्रांड के आकर्षण के 36 गुण शामिल हैं। टीआरए अवार्ड से सम्मानित किये जाने पर, एमऐंडएम लिमिटेड के प्रेसिडेंट – फार्म इक्विपमेंट सेक्टर, राजेश जेजुरिकर ने कहा, ‘‘यह टीआरए अवार्ड हर तरह के कृषि उपयोग के लिए ट्रैक्टर्स की विस्तृततम रेंज के साथ वैश्विक ग्राहक पर केंद्रित ब्रांड तैयार करने में हमारे प्रयासों को मिला एक सम्मान है। महिंद्रा में, हम लगातार ग्राहक के साथ मिलकर काम करने और सफल होने की उनकी आवश्यकताओं से जुड़ने का प्रयास करते हैं। इस अवार्ड के लिए टीआरए को धन्यवाद देने के साथ, हम नवाचार एवं तकनीक पर ध्यान देते हुए ट्रैक्टर्स और फार्म मशीनरी जगत दोनों में नये-नये उत्पादों के विकास की दिशा में कार्य करते रहेंगे।’’टीआरए रिसर्च के रिसर्च डाइरेक्टर, सचिन भोंसले ने कहा, ‘‘महिंद्रा ट्रैक्टर्स कम्यूनिकेशन इस ब्रांड को आकर्षक बनाने में दोहरी भूमिका निभाता है। पहला, यह ब्रांड के स्वाभाविक आकर्षण को बढ़ा देता है, और दूसरा, यह भारतीय कृषि क्षेत्र के ग्राहकों को इस आकर्षण के बारे में बताने में मदद भी करता है। महिंद्रा, ट्रैक्टर्स का पर्याय बन चुका है, और एक ब्रांड के रूप में, इसका सभी भारतीय ब्रांड्स के बीच रिकाॅल अधिक है। हम महिंद्रा को इस उपलब्धि पर बधाई देते हैं।’’टीआरए का ‘बाइंग प्रोपेंसिटी’ इंडेक्स एक वैज्ञानिक पद्धति है जो ग्राहकों की खरीद प्रक्रिया के मूल तक जाकर पड़ताल करती है ताकि खरीद की उनकी उत्सुकता को समझा व मापा जा सके। यह ग्राहक को प्रभावित करने वाले प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष और संदर्भात्मक खरीदारी कारकों के जरिए इसे समझने का प्रयास करता है। बाइंग प्रोपेंसिटी तैयार करने का अर्थ ब्रांड के प्रति ग्राहक का स्वाभाविक आकर्षण निर्मित करना है, जो कि ग्राहक के विश्वास (खरीद के ट्रांजेक्शनल ड्राइवर्स) और आकर्षण (खरीद के मनो-सामाजिक-सांस्कृतिक वाहक) के आधार पर प्रदर्शित होता है।