मोदी के मंत्री ने लिंचिंग के आरोपियों को बताया ‘निर्दोष’
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने है माना है कि वह और कुछ दूसरे बीजेपी नेताओं ने लिंचिंग केस के आरोपियों को कानूनी फीस भरने में आर्थिक मदद की है। बता दें कि झारखंड के रामगढ़ में एक मीट विक्रेता की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। बीबीसी न्यूज हिंदी को दिए इंटरव्यू में सिन्हा ने कहा, ‘वे (आरोपी) गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके घरवालों ने आर्थिक मदद करने की दख्वास्त की थी ताकि वे एक काबिल वकील पैरवी के लिए रख सकें। मैं और पार्टी के कुछ दूसरे सदस्यों ने एडवोकेट की फीस भरने में मदद की।’ बता दें कि साल भर पहले जयंत सिन्हा उस वक्त विवादों में घिर गए थे जब उन्होंने लिंचिंग के 6 आरोपियों को सम्मानित किया था। मंत्री की आरोपियों संग तस्वीर भी सामने आई थी। आरोपी जमानत पर जेल से छूटने के बाद सीधे मंत्री के हजारीबाग स्थित घर पहुंचे थे।
सिन्हा ने कहा कि उनकी पीड़ित के परिवार के साथ हमदर्दी है और वह इस वारदात की निंदा करते हैं। हालांकि, मंत्री ने आरोपियों को ‘निर्दोष’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘मेरी पीड़ित के परिवार के साथ बड़ी हमदर्दी है। जो कुछ हुआ वो दुखद है लेकिन जो लोग मेरे घर आए वे निर्दोष थे। आपने यह धारणा बना ली है कि वे गुनहगार थे।’ मंत्री ने कहा कि अगर कोई केस का अध्ययन करता है, इसके बारे में विचार करता है और साथ ही हाई कोर्ट के बेल ऑर्डर को पढ़ता है तो यह साफ पता चलता है कि जो लोग उनके घर आए थे, वे निर्दोष थे। क्या जयंत को सम्मानित करने से पहले इन आरोपियों के दोषमुक्त होने का इंतजार करना चाहिए था? इस सवाल के जवाब में सिन्हा ने कहा कि पूरे देश में बहुत सारे दागी नेताओं को माला पहनाया जाता है। सिन्हा ने यह भी कहा कि अगर पीड़ित की विधवा ने भी उनसे संपर्क किया होता तो वह उसकी भी मदद करते।
बता दें कि 2017 में झारखंड के रामगढ़ कस्बे में कुछ कथित गोरक्षकों ने अलीमुद्दीन अंसारी पर हमला किया था। उनकी मारुति वैन जला दी गई, इसमें रखा मीट सड़क पर फेंक दिया गया और उनके साथ बुरी तरह मारपीट की गई। बाद में अलीमुद्दीन की मौत हो गई। पुलिस ने 12 लोगों को गिरफ्तार किया। आरोपियों में एक नाबालिग भी था। पिछले साल 21 मार्च को रामगढ़ की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई। तीन महीने बाद झारखंड हाई कोर्ट ने आरोपियों में से 8 को जमानत दे दी। अदालत ने ‘सबूतों का अभाव’ इस फैसले की वजह बताई।