सेना के राजनीतिकरण पर पूर्व नेवी चीफ ने राष्ट्रपति को फिर लिखी चिट्ठी
नई दिल्ली: नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल एल. रामदास ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी लिखकर सेना का राजनीतिक इस्तेमाल को रोकने को लेकर पूर्व सैन्य प्रमुखों के भेजे गए पत्र पर संज्ञान नहीं लेने पर दुख व्यक्त किया है। 11 अप्रैल को भेजे गए इस पत्र में 8 पूर्व सैन्य प्रमुखों ने तीनों सेनाओं के सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति से सेना के राजनीतिक इस्तेमाल पर रोक लगाने का आग्रह किया था।
रामनाथ ने पत्र में लिखा, ‘मैं 28 अप्रैल 2019 तारीख को इस तथ्य को ध्यान में लाने के लिए विवश हूं कि राष्ट्रपति भवन के तीन आधिकारिक आईडी को ईमेल (11 अप्रैल को) द्वारा भेजे गए इस पत्र पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। इनमें से कोई भी मेल वापस नहीं आया है, जिसका अर्थ है कि वे वास्तव में प्राप्त हुए हैं।’
टेलीग्राफ की खबर के अनुसार पहले चरण का मतदान खत्म होने के तुरंत बाद 150 से अधिक पूर्व सैनिकों जिनमें कई रिटायर्ड प्रमुख भी शामिल थे, के हस्ताक्षर वाला पत्र आपको भेजा गया था। इसके बाद से भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य भाजपा नेता लगातार आतंकियों के हाथों मारे गए सुरक्षा बलों व सितंबर 2016 के ‘सर्जिकल स्ट्राइक्स’, 26 फरवरी को बालाकोट में हुए हवाई हमले जैसी कार्रवाई के नाम पर वोट मांगना जारी रखे हुए हैं।
रामदास ने अपने पत्र में राष्ट्रपति भवन के प्रेस सचिव से प्राप्त इस प्रतिक्रिया का भी जिक्र किया है कि, ‘इस मेल आईडी पर इस तरह का कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है और स्पीड पोस्ट और रजिस्टर्ड मेल से भेजे गए हार्ड कॉपी प्राप्त हुई हैं लेकिन इस पर किसी के हस्ताक्षर नहीं होने से इन्हें ‘एनएफए’ में मार्क कर दिया गया है।’
एनएफए से आशय ‘आगे कोई कार्रवाई नहीं’ से है। जबकि यह वास्तव में हैरानी की बात है कि पत्रों पर सूची में लिखे गए नामों की तरफ से मेजर (रिटायर्ड) प्रयदर्शी चौधरी के हस्ताक्षर थे। रामदास ने पत्र में लिखा, ‘श्रीमान राष्ट्रपति महोदय, मैंने आपको पहले भी अपने स्तर पर लिखा था, सैन्य बलों में कई ऐसे मुद्दे हैं जो हमें और हमारे देश को प्रभावित कर रहे हैं।
हालांकि, 11 अप्रैल 2019 को राजनीतिकरण संबंधी पत्र आपके नाम भेजा गया था। इसमें कई पूर्व सैनिकों की तरफ से भेजा गया था। हमारी चिंताएं और मांग बेहद सामान्य हैं- किसी भी राजनीतिक दल की तरफ से सेना के नाम का इस्तेमाल नहीं किया जाए। इसलिए आपसे और निर्वाचन आयोग और मुख्य निर्वाचन आयुक्त से आग्रह है कि इस संबंध में त्वरित और ठोस कार्रवाई करें।’ उन्होंने आगे लिखा कि जांच के बाद यह पूरी तरह से साबित हो चुका है कि 156 लोगों के हस्ताक्षर बिल्कुल सही हैं। उन्होंने कहा कि दूसरी लिस्ट को मिलाकर कुर 422 नाम हो चुके हैं।