अधिकारीयों के निर्णय को दरकिनार कर चुनाव आयोग ने पीएम मोदी को दी दूसरी क्लीन चिट
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने आचार संहिता उल्लंघन मामले की शिकायत को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दूसरी क्लीन चिट दे दी है। आयोग ने निर्णय अपने ही अधिकारियों के खिलाफ जाकर दिया है। दरअसल, पीएम मोदी ने महाराष्ट्र के वर्धा में एक चुनावी सभी के दौरान फर्स्ट टाइम वोटरों से अपील की थी कि वे बालाकोट एयरस्ट्राइक को अपना वोट समर्पित करें।
पीएम मोदी के बयान को महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) और उस्मानाबाद जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) ने पीएम मोदी के बयान को आचार संहिता का उल्लंघन माना था। दोनों अधिकारियों ने इस बात को माना था आयोग के निर्देशों दिए गए निर्देशों के आधार पर पीएम मोदी का बयान असंगत है और राजनीतिक लाभ के लिए सशस्त्र बलों का इस्तेमाल किया गया है।
पीएम मोदी के इस बयान को विपक्षी पार्टियों ने आचार संहिता का उल्लंघन मानकर चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की थी, जिसके बाद आयोग ने पीएम मोदी के बयान पर क्लीन चिट दे दी।
पीएम मोदी ने राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने पर इसी रैली में का था कि कांग्रेस अध्यक्ष उस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं जहां मेजोरिटी माइनॉरिटी में है। साथ ही साथ हिन्दू आतंकवाद के मुद्दे पर कांग्रेस पर अटैक किया था।
इधर, एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन की शिकायत के बावजूद कार्रवाई न होने की याचिका पर 30 अप्रैल को सुनवाई की थी, जिसके बाद कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस भेजा। साथ ही कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 मई की तारीख तय कर दी थी।
यह याचिका कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव की ओर से दायर की गई है। सुष्मिता देव ने अपनी याचिका में कहा था है कि पीएम मोदी और अमित शाह के खिलाफ आचार संहिता संबंधी उल्लंघन के बावजूद चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया है। देव ने अपनी याचिका में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ शिकायतों पर निर्वाचन आयोग की कथित निष्क्रियता को ‘पक्षपात’ का लक्षण और मनमाना बताया था।
सुष्मिता देव ने आरोप लगाया है कि आम चुनाव की घोषणा होने की तारीख 10 मार्च से ही पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष ने विशेष रूप से संवेदनशील इलाकों और राज्यों में जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों और चुनाव कराने के नियमों तथा प्रक्रिया का उल्लंघन किया है। ये जगजाहिर है कि वे नफरत फैलाने वाले भाषण दे रहे हैं, निर्वाचन आयोग द्वारा स्पष्ट प्रतिबंध के बावजूद राजनीतिक प्रचार के लिये सशस्त्र बलों का बार-बार जिक्र कर रहे हैं।