नई दिल्ली: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई पर लगे यौन शोषण के आरोप से उन्हें फंसाने की साजिश हुई है। गुरुवार (25 अप्रैल, 2019) को सुप्रीम कोर्ट ने इसी दावे की जांच की बात के आदेश दे दिए। कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एके पटनायक मामले की जांच की कमान संभालेंगे। कोर्ट ने इसके साथ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) निदेशक और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के मुखिया को जस्टिस एक पटनायक के साथ सहयोग करने के लिए कहा है। जांच के बाद जस्टिस पटनायक को इस मसले से जुड़ी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपनी होगी।

‘बार एंड बेंच’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने इसके अलावा आदेश दिया कि बैंस एविडेंस एक्ट की धारा 126 के तहत विशेषाधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं। उन्हें सभी दस्तावेज सामने पेश करने होंगे। वहीं, बैंस ने भी मामले से जुड़ी कुछ और जानकारियां सुबह सीलबंद लिफाफे में बेंच के पास जमा कराई हैं।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में इससे पहले सुनवाई के दौरान दिल्ली के एक वकील उत्सव बैंस ने दावा किया था कि यौन शोषण मामले में सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ उन्हें फंसाने को लेकर साजिश रची गई है। उसी पर कोर्ट का हालिया आदेश आया है। इससे पहले, सुबह कोर्ट बुरी तरह भड़का था और बेंच ने कहा था कि अब समय आ गया है कि हम देश के अमीर और ताकतवर लोगों को बता दें कि वे यह कोर्ट नहीं चला सकते।

सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा के एक बयान पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) टीम से जांच कराने का सुझाव दे दिया। जस्टिस मिश्रा ने कहा था, “संस्थान (कोर्ट) के साथ बीते तीन-चार सालों में जैसा सलूक हुआ है, उससे यह आने वाले समय में खत्म हो जाएगा। देश की जनता को सच जानना चाहिए।”

जस्टिस आगे बोले, “क्या यहां के ताकतवर लोग सोचते हैं कि वे देश चला सकते हैं?” जज ने इसी के साथ बार और सॉलिसिटर जनरल को चेताया कि वह उन्हें ‘और चीजें’ कहने के लिए न उकसाएं। बता दें कि सीजेआई रंजन गोगोई पर पूर्व कर्मचारी ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं, जो कि सुप्रीम कोर्ट में मई 2014 से दिसंबर 2018 तक जूनियर असिस्टेंट के पद पर कार्यरत थी।

सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सीनियर जज एसए बोबड़े की अध्यक्षता में बनी तीन सदस्यों वाली समिति से न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना ने गुरुवार को खुद को अलग कर लिया। यह जानकारी कोर्ट के सूत्रों के हवाले से ‘भाषा’ की रिपोर्ट में दी गई। बता दें कि सीजेआई पर आरोप लगाने वाली कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी ने इस जांच पैनल में जस्टिस एनवी रमन्ना को शामिल करने पर आपत्ति जताई थी।