नई दिल्ली: मोदी सरकार सरकारी कंपनियों की संपत्तियों को बेच सकती है। वित्त मंत्रालय ने केन्द्रीय लोक उपक्रमों (सीपीएसई) से ऐसी सम्पत्तियों की सूची जल्द से जल्द तैयार करने को कहा है जिन्हें बेचा जा सकता है। साथ ही उन्हें इसके लिए संभावित निवेशकों तथा बोलीदाताओं से बात शुरू करने को भी कहा गया है। इसका मकसद लोक उपक्रमों की गैर-प्रमुख आस्तियों का शीघ्रता से बाजार में चढ़ाना है। एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे सीपीएसई के पास विशेष उद्देशीय कोष (एसपीवी) के लिए गैर-प्रमुख आस्तियों को सुपुर्द कर देने अथवा गैर-प्रमुख आस्तियों की बिक्री से प्राप्त होने वाले लाभ को एक एस्क्रो खाते में स्थानांतरित करने का विकल्प होगा।

फरवरी में मंत्रिमंडल के एक फैसले के बाद निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) ने इस हफ्ते की शुरुआत में सीपीएसई की गैर-मुख्य आस्तियों के मौद्रीकरण और शत्रु संपत्तियों के मौद्रीकरण के लिए दिशा-निर्देश दिए थे। दिशानिर्देशों के अनुसार, वित्तमंत्री की अगुवाई वाले मंत्रियों की समिति द्वारा शिनाख्त की गई गैर-मुख्य आस्तियों का मौद्रीकरण करने के लिए 12 महीनों का समय होगा जिसमें विफल रहने वित्त मंत्रालय सीपीएसई को बजटीय आवंटन रोक सकता है। सीपीएसई की गैर-प्रमुख परिसंपत्तियों की बिक्री के माध्यम से प्राप्त राशि विनिवेश आय का हिस्सा बनेगी।

सरकार ने पहले से ही रणनीतिक बिक्री के लिए लगभग 35- सीपीएसई की पहचान की है। इनमें एयर इंडिया, पवन हंस, बीईएमएल, स्कूटर्स इंडिया, भारत पंप कंप्रेशर्स, और प्रमुख इस्पात कंपनी- ‘सेल’ की भद्रावती, सलेम और दुर्गापुर इकाइयां शामिल हैं। जिन अन्य सीपीएसई के एकमुश्त बिक्री के लिए मंजूरी दी गई है, उसमें हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन, हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट, एचएलएल लाइफ केयर, सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स, ब्रिज एंड रूफ इंडिया, एनएमडीसी का नागरनार इस्पात संयंत्र और सीमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और आईटीडीसी की इकाइयां शामिल हैं।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) को बिक्री के समय बेहतर प्राप्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सभी परिसंपत्तियों की उचित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया से गुजर रहे एयर इंडिया के मामले में सरकार ने पहले से ही एक विशेष उद्देशीय कोष (एसपीवी) – एयर इंडिया एस्सेट्स होल्डिंग लिमिटेड (एआईएएचएल) बनाया है। सरकार ने एयर इंडिया के कुल 55,000 करोड़ रुपये कुल रिण में से 29,000 करोड़ रुपये के कर्ज को एआईएएचएल को अंतरित कर दिया है।

इसके अलावा, चार सहायक कंपनियों- एयर इंडिया एयर ट्रांसपोर्ट सर्विसेज (एआईएटीएसएल), एयरलाइन अलाइड सर्विसेज (एएएसएल), एयर इंडिया इंजीनिरिंग सर्विसेज लिमिटेड (एआईईएसएल) और होटल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एचसीआई) की बिक्री से प्राप्त आय को भी एआईएएचएल को हस्तांतरित किया जायेगा। इसके अलावा, गैर-कोर परिसंपत्तियां – पेंटिंग और कलाकृतियों के साथ ही साथ राष्ट्रीय विमानन कंपनी की अन्य गैर-परिचालन वाली संपत्तियों को भी एसपीवी को हस्तांतरित कर दिया जायेगा। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सीपीएसई विनिवेश के जरिये 90,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है, जो पिछले वित्त वर्ष में 85,000 करोड़ रुपये था।