आचार्य प्रमोद कृष्णम बोले, कोई भी अपराजेय नहीं, लखनऊ से किया नामांकन
तौक़ीर सिद्दीक़ी
लखनऊ संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी आचार्य प्रमोद कृष्णम ने आज कलेक्ट्रेट पहुंचकर नामांकन किया। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने चार सेटों में अपना नामांकन दाखिल किया। उनके साथ पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजीव शुक्ला, पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी, कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार ‘लल्लू’, पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, विधायक आराधना मिश्रा‘मोना’, महामण्डलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद जी, महामण्डलेश्वर स्वामी नवीनानंद जी, महामण्डलेश्वर विष्णु विनोदम , महामण्डलेश्वर कम्प्यूटर बाबा(मध्य प्रदेश), पूर्व एमएलसी हाजी सिराज मेंहदी, पूर्व विधायक श्यामकिशोर शुक्ल, शायर मंजर भोपाली, शहर अध्यक्ष बोधलाल शुक्ला एडवोकेट, रमेश श्रीवास्तव आदि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अतिरिक्त विभिन्न अखाड़ों के लगभग एक हजार साधु-सन्त शामिल रहे।
अपने संबोधन में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि देश की मौजूदा सरकार और उसके मुखिया झूठे हैं उनके वादे खोखले साबित हुए हैं। विगत पांच वर्षों में जनता के हर मुद्दे पर सरकार विफल साबित हुई है। इस झूठी सरकार को हटाना है। उन्होने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी का खुद पर भरोसा जताने के लिए धन्यवाद देते हुए उन्होने कहा कि राहुल गांधी ने जनता का आर्शीवाद लेने के लिए गंगा-जमुनी तहजीब की धरती लखनऊ में मुझे भेजा है। मैं इस धरती को प्रणाम करता हूं। कोई भी अपराजेय नहीं है सबको हराया जा सकता है। इसीलिए मैं यहां आया हूँ।
लखनऊ में सपा उम्मीदवार पूनम सिन्हा के नामांकन जुलूस में शत्रुघ्न सिन्हा होने पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, शत्रुघ्न सिन्हा जी यहां आकर अपना पत्नी धर्म निभाये। लेकिन वो शत्रु जी से कहना चाहते हैं कि पत्नी धर्म उन्होंने निभा दिया है। लेकिन एक दिन उनके लिए प्रचार करके वो पार्टी धर्म भी निभाएं।
लखनऊ के चुनाव की सबसे बड़ी खासियत ये है कि कोई प्रत्याशी इस शहर का नहीं है। अब सवाल ये है कि सपा और बसपा गठबंधन ने पूनम सिन्हा पर भरोसा क्यों जताया। जानकारों का कहना है कि अगर आप लखनऊ के जातिगत आंकड़ों को देखें तो यहां पर कायस्थ मतदाताओं की संख्या तीन लाख से ज्यादा है और सिंधी मतदाता भी करीब डेढ़ लाख है। सपा बसपा गठबंधन के रणनीतिकारों को लगता है कि पूनम सिन्हा मूल रूप से सिंधी हैं और पति की तरफ से कायस्थ हैं।ऐसे में उन्हें दोनों वर्गों का भरपूर समर्थन मिलेगा। कायस्थ, सिंधी के साथ साथ सपा बसपा के कोर मतदाताओं के समर्थन से पूनम सिन्हा की राह आसान हो जाएगी।
ये बात अलग है कि कुछ जानकार बताते हैं कि लखनऊ में राजनाथ सिंह की लोकप्रियता में किसी तरह की कमी नहीं है। उन्हें समाज के सभी वर्गों के लोग अपना समर्थन देंगे। लखनऊ के मतदाता पूरी तरह जागरुक हैं और उन्हें पता है कि उनके हित में क्या सही है। सपा बसपा गठबंधन ने भले ही पूनम सिन्हा में भरोसा जताया हो । लेकिन एक बात तो साफ है कि पूनम सिन्हा को लखनऊ की जमीनी हकीकत के बारे में पता नहीं है और उसका खामियाजा उन्हें जरूर भुगतना पड़ेगा।