गुलबर्ग नरसंहार में बचा पीड़ित अमित शाह के खिलाफ मैदान में
अहमदाबाद: 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग नरसंहार में बचे दो भाई- इम्तियाज पठान और फिरोज खान पठान ने राजनीति में प्रवेश किया है और क्रमशः खेड़ा और गांधीनगर लोकसभा क्षेत्रों से अपना नामांकन दाखिल किया है। 42 साल के इम्तियाज अपना देश पार्टी के उम्मीदवार हैं और उन्हें प्रेशर कुकर का चुनाव चिन्ह मिला है, जबकि 45 वर्षीय फिरोज भाजपा प्रमुख अमित शाह के खिलाफ एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
अमित शाह, जो राज्यसभा सदस्य (सांसद) हैं, पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वो गांधीनगर निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतरे हैं। यहांं से 1991 से भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सांसद थे।
फिरोज अब वेजलपुर में रहते हैं, जो गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जबकि उसका छोटा भाई इम्तियाज गोमतीपुर में रहता है। 2002 के गोधरा कांड के बाद अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसायटी पर जब भीड़ ने हमला किया, तो पठान भाइयों ने अपनी मां सहित परिवार के 10 सदस्यों को खो दिया था।
गुलबर्ग केस में अहम अभियोजन पक्ष के गवाह रहे इम्तियाज ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने दंगा पीड़ितों के लिए कुछ नहीं किया। फिरोज ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद के खिलाफ दंगा के पीड़ितों के लिए एकत्र धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए मामला दायर किया था।
इस चुनाव में अपनी उम्मीदवारी के बारे में बात करते हुए फिरोज ने कहा, '2002 के बाद से हमें कोई न्याय नहीं मिला है और हम अभी भी इसके लिए लड़ रहे हैं। हमें एक एनजीओ द्वारा समर्थित किया गया था, लेकिन उन्होंने हमारे नाम पर एकत्र धन का दुरुपयोग किया। इस कारण मैंने लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यदि 2.5 लाख दलित और 3 लाख मुस्लिम मतदाताओं ने हमारे पक्ष में अपना वोट दिया, तो संभावना है कि कांग्रेस और बीजेपी हार जाएंगे।
उन्होंने कहा कि उनके हिंदू दोस्तों ने उन्हें समर्थन दिया है और उन्हें वोट मिलने का भरोसा है। संसद में गुलबर्ग दंगा पीड़ितों की आवाज उठाने वाले एक मजबूत नेता की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, फिरोज ने कहा, 'मैं शांति और सांप्रदायिक सद्भाव स्थापित करना चाहता हूं। कोई भी लोकसभा में हमारे मुद्दे को नहीं उठा रहा है। कोई भी मुस्लिम सांसद नहीं है, जो हमारे लिए बोलें। राज्यसभा में कांग्रेस नेता अहमद पटेल हैं, लेकिन मुझे उनसे कोई उम्मीद नहीं है।'
28 फरवरी 2002 को गुलमर्ग सोसायटी में लगभग 68 लोग मारे गए थे। गुजरात की 26 लोकसभा सीटों पर 23 अप्रैल को मतदान होना है।