जमैका सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज किया अपना आधार
जस्टिस चंद्रचूड़ के फैसले को बनाया नजीर
नई दिल्ली: जस्टिस चंद्रचूड़ के फैसले को नजीर बताते हुए जमैका के सुप्रीम कोर्ट ने वहां आधार जैसे एक अधिनियम को सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस व्यस्था को निजता का उल्लंघन करने वाला और असंवैधानिक करार दिया। दरअसल, जमैका सरकार ने लोगों की नागरिकता और पहचान संबंधी आंकड़े जुटाने के लिए नेशनल आईडेंटिफिकेशन सिस्टम (एनआईडीएस) तैयार किया था। 2017 में आया यह अधिनियम प्रभाव में नहीं आ पाया। वजह- वहां के सांसद और पीपल्स नेशनल पार्टी के महासचिव जूलियन जे.रॉबिन्सन हैं। उन्होंने इस अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
‘लाइव लॉ’ के मुताबिक, चीफ जस्टिस ब्रायन स्काइस की अध्यक्षता वाली जजों की बेंच ने वहां इस अधिनियम को असंवैधानिक बताया और एनआईडीएस खारिज को कर दिया। जमैका के सीजेआई ने फैसले में कहा कि लोगों का बायोग्राफिकल और बायोमीट्रिक डेटा रखना जमैका के चार्टर के मुकाबिक सीधे तौर पर निजता का उल्लंघन होगा।
बेंच में शामिल जस्टिस बैट्स ने भी सीजेआई का समर्थन किया। दोनों जजों ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नजीर बताया और जस्टिस चंद्रचूड़ के उस फैसले का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने आधार को लेकर अपनी असहमति जताई थी।
जस्टिस बैट्स का मत था कि यह स्कीम देशवासियों के लिए संकट होगी, क्योंकि भारतीय सुप्रीम कोर्ट भी इसे निगरानी करने वाली व्यवस्था बता चुका है। यह इसका सच्चाई है। वहीं, बेंच में शामिल अन्य जस्टिस पाल्मर हैमिल्टन का कहना था कि यह सिस्टम असंवैधानिक होगा। अगर यह लागू हुआ, तो नागरिकों की निजता का उल्लंघन न हो इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाने की जरूरत होगी।
बेंच ने कहा- जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस मामले को बेहद संवेदनशील बताया था, क्योंकि यह मामला निजता और स्वतंत्रता के लिहाज से अहम है। उनकी असहमति ने साफ दर्शाया था कि कैसे किसी एक व्यक्ति की निजी जानकारियों पर किसी और का काबू हो सकता है।