लालू ने जेल से लिखी चिट्ठी, बोले -मैं कैद में हूं, मेरे विचार नहीं
नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने जमानत याचिका खारिज होने पर जेल से चिट्ठी लिखी है। उन्होंने उसके जरिए कहा कि उम्र साथ नहीं दे रही है। वह भले ही इस वक्त कैद में हों, पर उनके विचार कैद नहीं है। बता दें कि लालू ने चारा घोटाला मामले में खराब सेहत का हवाला देकर जमानत याचिका दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। बुधवार (10 अप्रैल, 2019) को इसी बाबत उनके टि्वटर अकाउंट से ट्वीट में लिखा गया, “44 वर्षों में पहला चुनाव है, जिसमें आपके बीच नहीं हूं। चुनावी उत्सव में आप सबों के दर्शन नहीं होने का अफ़सोस है। आपकी कमी खली रही है इसलिए जेल से ही आप सबों के नाम पत्र लिखा है। आशा है आप इसे पढ़ियेगा एवं लोकतंत्र और संविधान को बचाइयेगा। जय हिंद, जय भारत।”
लालू के ट्वीट के साथ चिट्ठी की प्रति अपलोड की गई। चिट्ठी में लालू ने लिखा, “रांची के अस्पताल में अकेले बैठने के दौरान आप लोगों से बात करने का मन हुआ। चुनाव का बिगुल बज चुका है, पर इस बार का चुनाव अलग है। सब कुछ दांव पर है। देश, समाज, लालू यानी कि आपका बराबरी से चलने का जज्बा देने वाला और आपके हक, इज्जत व गरिमा भी दांव पर है।”
बकौल लालू, “लड़ाई आर-पार की है। मेरे गले में सरकार और चालबाजों का फंदा कसा है। उम्र के साथ शरीर साथ नहीं दे रहा है। पर आन और आबरू की लड़ाई में लालू की ललकार हमेशा रहेगी। ई ललकार हमारे सिपाहियों के दम पर है। जो हार जीत में हर हाल में मैदान में डटने वाला रहा है, पीठ दिखाकर भागने वाला नहीं है। जैसे गांधी जी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो कहने के बाद करो या मरो का नारा दिया था। वैसे ही ये लड़ाई देश तोड़ने वालों के खिलाफ है।” देखें, उन्होंने और क्या लिखा-
लालू ने आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा। चिट्ठी में लिखा- आरक्षण और संविधान विरोधी नरेंद्र मोदी को खदेड़ने की लड़ाई में करो या मरो वाले जज्बे की जरूरत है। हर आदमी को लालू बनना होगा। उसी तरह डटकर खड़े होना पड़ेगा। सामने चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों न हो, डर और धमकी क्यों न हो। लालच और खतरा भी क्यों न हो। लेकिन डटकर इन सबका सामना करना ही होगा और गरीब-गुरबों का मान और प्रतिष्ठा बचानी ही होगी।