नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए मतदान से पहले नगालैंड में भारतीय जनता पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। नागरिकता संशोधन विधेयक पर विरोध करते हुए कम से कम 37 सदस्‍यों ने सोमवार (8 अप्रैल) को पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया। इनका कहना है कि देशभर में फैल रही हिंदुत्‍व की विचारधारा नगा लोगों से सहन नहीं हो रही। राज्‍य भाजपा प्रमुख को लिखी चिट्ठी में सदस्‍यों ने कहा कि वे इसलिए इस्‍तीफा दे रहे हैं क्‍योंकि वे पार्टी के सिद्धांतों से इत्‍तेफाक नहीं रखते, खासतौर से इसकी ‘हिंदुत्‍व नीति’ से।

वरिष्‍ठ भाजपा नेताओं ने कहा कि जिन्‍होंने इस्‍तीफा दिया वह कांग्रेस उम्‍मीदवार केएल चिशी के धड़े से ताल्‍लुक रखते हैं। उन्‍होंने दावा किया कि इन इस्‍तीफों का चुनावी नतीजे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। राज्‍य भाजपा प्रमुख इमना अलॉन्‍ग ने कहा, “तीन नेता कार्यकारिणी सदस्‍य थे, लेकिन इस्‍तीफा देने वालों में से अधिकतर जुन्हेबोटो जिले के हैं, कांग्रेस उम्‍मीदवार वहीं से आते हैं।”

वहीं, त्रिपुरा में बीजेपी के सहयोगी संगठन इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट आफ त्रिपुरा (IPFT) के उपाध्यक्ष अनंत देबवर्मा IPFT के कई कार्यकर्ताओं के साथ सोमवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। देबवर्मा के कांग्रेस में शामिल होने से कुछ दिन पहले ही IPFT के वाइस चेयरपर्सन कृतिमोहन त्रिपुरा, युवा IPFT नेता एवं उसके बेलोनिया मंडल प्रमुख मृणाल त्रिपुरा भी गत दो अप्रैल को IPFT के 400 समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इससे पहले 19 मार्च को प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष सुबल भौमिक कांग्रेस में शामिल हुए थे।

IPFT के संस्थापक नेताओं में शामिल देबवर्मा ने कहा कि वह कांग्रेस में इसलिए शामिल हुए क्योंकि आदिवासी पार्टी नेता एक ठाठ का जीवन जी रहे हैं और राज्य के मूल निवासियों की मांगों को लागू करने में असफल हैं जिन्होंने उन्हें वोट किया था। देबवर्मा ने कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा IPFT अध्यक्ष एवं राजस्व मंत्री एन सी देबवर्मा को शनिवार को भेज दिया था।

उनके साथ IPFT के कई कार्यकर्ता भी कांग्रेस में शामिल हुए हैं क्योंकि राष्टीय पार्टी ने उनकी मांगों को पूरा करने का भरोसा दिया है। त्रिपुरा में लोकसभा की दो सीटों के लिए चुनाव 11 और 18 अप्रैल को होना है।