प्रत्यर्पण के फैसले के खिलाफ विजय माल्या की अर्जी खारिज
नई दिल्ली: यूके हाई कोर्ट से विजय माल्या को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, कोर्ट ने सोमवार को विजय माल्या के प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया. हालांकि हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी अब माल्या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं.बता दें कि अब वह इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं.
एक लीगल फर्म के संस्थापक बताते हैं, ''विजय माल्या के पास 6 हफ्ते का समय है जिसके भीतर वे ब्रिटेन के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दे सकते हैं. यदि उनकी अपील स्वीकारी जाती है तो सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. सुनवाई पूरी होने में कई महीने या एक वर्ष भी लग सकता है.
लीगल फर्म के संस्थापक ने बताया कि क्राउन प्रासिक्यूशन सर्विस (ब्रिटेन का अभियोजन पक्ष) सुप्रीम कोर्ट में जल्दी सुनवाई की अपील कर सकता है, पर ऐसी अपील के स्वीकारे जाने की संभावना बहुत ही कम है.
अभियोजन पक्ष को इसके लिए कारण बताने होते हैं कि वह तत्काल सुनवाई क्यों चाहता है. कोर्ट ऑफ अपील में निचली अदालतों के फैसले को पलट दिया जाना कोई असाधारण बात नहीं है और सबकुछ इस बात पर निर्भर करता है कि कोर्ट ऑफ अपील माल्या की अपील में कितना दम पाती है.
ब्रिटेन में स्पेशल क्राइम और प्रत्यर्पण के पूर्व प्रमुख निक वामोस जो कि अब एक लीगल फर्म चलाते हैं, का कहना है कि ब्रिटेन गृहमंत्री के पास और कोई विकल्प था ही नहीं.
वामोस कहते हैं, "जब एक बार निचले कोर्ट ने माल्या के प्रत्यर्पण का फैसला सुना दिया था तो गृहमंत्री के पास इसकी मंजूरी देने के सिवाय विकल्प नहीं था. इसलिए ब्रिटेन के गृहमंत्रालय का निर्णय कोई चौकाने वाला नहीं है.
पिछले वर्ष विजय माल्या ने कहा था कि वो अपील में जाएंगे. यह पूरी संभावना है कि उनकी अपील स्वीकार हो जाएगी. क्योंकि, उनके केस की सच्चाई और कानूनी पहलू काफी पेचीदा हैं.
इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम 2-3 महीने लगेंगे और इस दौरान वो बेल पर रहेंगे. केस की दोबारा सुनवाई हाईकोर्ट नहीं करेगी, वह निचली अदालत का फैसला सही था या गलत केवल यही देखेगी.
मार्च 2016 में छोड़ चुके विजय माल्या इस बात से इनकार करते हैं कि वो भारत से भागे हैं. उनका कहना है कि बीते वर्ष जुलाई में उन्होंने तमाम बकाया राशि लौटाने की बिना शर्त पेशकश की थी.
विजय माल्या यह दलील भी दे चुके हैं कि उन्होंने एक रुपये का भी कर्ज नहीं लिया. कर्ज किंगफिशर एयरलाइन्स ने लिया था. पैसे का नुक़सान एक वास्तविक और दुखद व्यापारी नाकामी की वजह से हुआ. गारंटर होना फर्जीवाड़ा नहीं है.