बैंकों के विलय से बैंको और समाज को क्षति पहुँचना तय: आयबाॅक
संजोग वालटर
मोदी सरकार द्वारा तीन बैंको के विलय पर आयबाॅक ने विरोध दिवस मनाया
लखनऊ। ‘‘बैंकों के विलय से बैंको एवं समाज को भी क्षति पहुँचना तय है। इसका सीधा असर देश की मध्यम वर्ग की जनता पर पड़ेगा‘‘ यह विचार आज स्टेट बैंक मुख्य शाखा में आयोजित एक प्रेस वार्ता में काम0 दिलीप चौहान, महासचिव, आल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फ़ेडरेशन, उ0प्र0 इकाई ने तीन बैंकों के विलय के बारे में व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि आयबाॅक द्वारा आज 1 अप्रैल को पूरे देश में विजया बैंक, देना बैंक तथा बैंक आॅफ बड़ौदा के विलय का विरोध करते हुए विरोध दिवस मनाया गया । जिसके अन्र्तगत बैंक स्टाफ सदस्यों ने बैज, पर्चे एवं पोस्टर आदि बांटकर विरोध प्रदर्शित किया। श्री चौहान ने कहा इन बैंको के विलय की घोषणा 17 सितम्बर 2018 को सारे नियम व संसद को ताख पर रखकर किया गया। आज देश के मध्यम वर्ग के रोजगार का मुख्य साधन, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ही है।
काम0 दिलीप चौहान ने आगे बताया- ‘आईबीए पिल्लई कमेटी की संस्तुतियों पर भी ध्यान नहीं दे रही है जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि बैंक अधिकारियों का वेतन सिविल सर्विसेज आफिसर के समान होना चाहिए।‘ वित्तमंत्रालय ने 12 जनवरी 2016 को आईबीए को निर्देश दिये थे कि बैंकों में वेतन समझौते पर शीघ्र वार्ताकर इसे 1 नवम्बर 2017 से लागू किया जाय परन्तु 26 महीने बीत जाने के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला। उन्होंने बताया कि हमारे मांग पत्र में न्यूनतमवेतन, एनपीए वसूली, नई पेंशन स्कीम को समाप्त करना, पेंशन अद्यतन पुनरीक्षण करना एवं पारिवारिक पेंशन में सुधार तथा तीन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों व ग्रामीण बैंकों के विलय का विरोध के साथ बैंक अधिकारियों पर पूरे देश में हो रहे हमले समेत कई मुद्दे शामिल हैं।
इस अवसर पर काम0 पवन कुमार, अध्यक्ष-आयबाॅक ने कहा कि हम कैथोलिक सीरियन बैंक में उनके प्रबंधन के द्वारा की जा रही ज्यादतियों का भी विरोध करते हैं। उनका प्रबंधन अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 60 से 58 साल तथा सेवानिवृत्त के समय चार्जशीट देना तथा उन्हें प्रताडित करने जैसे अनेक तरीके अपना रहा है। इसके विरोध में वहां के अधिकारियों के संगठन ने 2 अप्रैल, 2019 को अखिल भारतीय हड़ताल का आवाह्न किया है। आयबाॅक इसका समर्थन करता है। इसी प्रकार स्टैण्डर्ड चाटर्ड बैंक प्रबंधन द्वारा दिसम्बर 2018 में अनेक अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दे दी गई। अन्य क्षेत्रों के अधिकारियों पर भी दबाव बनाया जा रहा है। हम इसका विरोध करते है। उन्होंने आगे कहा-‘बड़े बकायेदारों के नाम सार्वजनिक किये जाये, जिससे कोई भी बैंक उन्हें नया ऋण न दे सके।‘
प्रेसवार्ता में बैंक अधिकारी संगठन नेताओं काम0 आर0एन0शुक्ला-इळाहाबाद बैंक, जी.पी. त्रिपाठी, सिन्डीकेट बैंक, का0 सौरभ श्रीवास्तव, बैक आॅफ इण्डिया ने अपने विचार व्यक्त किये।
मीडिया प्रभारी अनिल तिवारी ने बताया कि केन्द्र सरकार के निर्णय से विजया बैंक, देना बैंक तथा बैंक आफ बडौदा का आपस में आज से विलय कर दिया जायगा। इसके तहत भारतीय रिजर्व बैंक ने इन बैंको को अपनी शाखाओं व कार्यालयों के सामने ‘सम्बद्व बैंक आॅफ बड़ौदा‘ का साइन बोर्ड लगाने के निर्देश दिये है। अभी ये तीनो बैंक अपना कामकाज पहले की तरह करते रहेंगे। इनकी किसी भी शाखा को बन्द नहीं किया जायगा और न ही बैंक की पासबुक को बदला जायगा.