बदल सकती है राजनाथ सिंह की सीट
नई दिल्ली : चुनाव आयोग की ओर से लोकसभा चुनाव 2019 की अधिसूचना जारी होने के बाद सभी राजनीतिक दलों में गहमागहमी शुरू हो गई है। टिकट बंटवारे से लेकर चेहरे बदलने की रणनीति पर तेजी से काम चल रहा है। पहले चरण के चुनाव के लिए विपक्षी दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अभी उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में जुटी है। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि भाजपा इस बार कई दिग्गज चेहरों का सीट बदल सकती है इनमें गृह मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के नाम भी शामिल हैं।
सूत्रों की मानें तो राजनाथ सिंह को इस बार गौतमबुद्ध नगर सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। राजनाथ सिंह ने 2014 का लोकसभा चुनाव लखनऊ और 2009 का चुनाव गाजियाबाद से लड़ा था। लखनऊ में राजनाथ सिंह ने कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी को हराया था। इस चुनाव में राजनाथ को 5,61,106 वोट और जोशी को 2,88,357 वोट मिले थे। जबकि गौतमबुद्ध नगर के मौजूदा सांसद महेश शर्मा को इस बार उनके गृह जनपद अलवर से टिकट दिया जा सकता है। बताया जा रहा है कि गौतमबुद्ध नगर के ग्रामीण इलाकों में शर्मा के खिलाफ लोगों की नाराजगी है। भाजपा की गुरुवार को संसदीय बोर्ड की बैठक होने वाली है जिसमें पहले चरण के चुनाव के लिए उम्मीदवारों के टिकट पर अंतिम फैसला भी हो सकता है।
पहले चरण के चुनाव के लिए 11 अप्रैल को वोटिंग होनी है। सूत्रों की मानें तो भाजपा पहले चरण के लिए 16 या 17 मार्च को यूपी की 20 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती है। चर्चा यह भी है कि सपा-बसपा गठबंधन के बाद बदले चुनावी समीकरण को ध्यान में रखते हुए भाजपा यूपी के 23 सासंदों की सीटों में फेरबदल करने पर विचार कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के आतंरिक सर्वे में यह बात सामने आई है कि ग्रामीण इलाकों में लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों से तो खुश हैं लेकिन उनकी अपने सांसदों के प्रति नाराजगी है। ऐसे में पार्टी नहीं चाहती कि सांसदों के प्रति लोगों की नाराजगी का नुकसान उसे उठाना पड़े। उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर ऐसे सांसद हैं जिनके प्रदर्शन से पार्टी नेतृत्व खुश नहीं है। पिछले चुनाव में भाजपा यूपी की 80 सीटों में से 71 पर जीत दर्ज की थी जबकि दो सीटें उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल के खाते में गई थीं। भाजपा इस बार भी अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराना चाहती है लेकिन सपा-बसपा गठबंधन ने इस बार प्रदेश की ज्यादातर सीटों पर नए सिरे रणनीति बनाने के लिए विवश किया है।