गठबंधन से कांग्रेस को दूर रखने के लिए सरकारी तोते का फिर इस्तेमाल
लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी
राज्य मुख्यालय लखनऊ।आमचुनाव की घोषणा होने के बाद भी सरकारी तोता लगा है मोदी की भाजपा की मदद करने में कि किसी तरह यूपी में मोदी की भाजपा को कोई नुक़सान न हो जबकि गठबंधन ने मोदी की भाजपा को यूपी के लोकसभा चुनाव में ज़मींदोज़ करने की तैयारी कर ली है गठबंधन की वजह से ही केन्द्र की सत्ता में वापिस नही होने जा रही मोदी की भाजपा लेकिन सरकारी तोता लगा है नुक़सान न हो और अगर हो भी तो कम से कम हो उसी को ध्यान में रखते हुए बसपा और सपा के बीच हुए गठबंधन को रोकने के लिए बी चन्द्रकला आईएएस को निशाना बनाया गया था जिसकी जद में सपा के अखिलेश यादव आ रहे थे लेकिन उसके बाद भी यूपी में दोनों दलों के बीच गठबंधन हुआ अब उसमें कांग्रेस के भी शामिल होने की बातचीत हो रही थी गठबंधन दलों के क़रीबी लोगों का कहना है या था कि लगभग सबकुछ फ़ाइनल हो गया है आख़री दौर की बातचीत चल रही है क्योंकि गठबंधन की बातचीत यूपीए की चेयरमैन सोनिया गांधी ने गठबंधन के नेताओं से सीधी बातचीत की थी जिसकी वजह से ये कहा जाने लगा था कि अब यूपी में कांग्रेस भी गठबंधन में शामिल हो जाएगी उसको दस सीट मिल रही थी या है।इसी को रोकने के लिए मोदी की भाजपा ने दबाव बनाने के लिए रिटायर आईएएस नेतराम के बहाने बसपा प्रमुख मायावती को घेरने की तैयारी की है सुबहा 6 बजे से छापेमार कार्रवाई चल रही थी विष्णु बल्लभ रस्तोगी गाढ़ा भंडार स्थित स्टेशन रोड उनके आवास पर आयकर विभाग की टीम ने आने जाने वालों पर भी रोक लगा दी थी जिसकी वजह से आसपास के क्षेत्र में भी हड़कंप मचा रहा छापेमारी के बाद बसपा प्रमुख मायावती का बयान आया है कि कांग्रेस के साथ किसी भी प्रदेश में या यूपी में कोई गठबंधन नही होने जा रहा है।गौरतलब हो कि बसपा सरकार के दौरान मायावती के सबसे क़रीबी अफसरो में सुमार आईएएस नेतराम प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री हुआ करते थे।नेतराम के ठिकानों पर छापेमारी से राजनेताओं और नौकरशाहों में खलबली मची है कोलकाता स्थित ठिकानों से सौ करोड़ की सम्पत्ति के काग़ज़ात मिलने का दावा किया जा रहा है इनके यहाँ हुई छापेमारी के बाद राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा आम हो गई कि इस आईएएस के यहाँ छापामारी के ज़रिए बसपा प्रमुख मायावती और सपा के अखिलेश यादव पर दबाव बनाने के लिए सरकारी तोता काम कर रहा है।रणनीति के तहत नेतराम के घर की गई छापेमारी के बाद जो दावे किए जा रहे है कि करोड़ों की सम्पत्ति के काग़ज़ात मिले है ये बात अलग है इस तरह की किसी भी कार्रवाई के बाद कुछ नही निकलता सिर्फ़ सियासी फ़ायदे के लिए यह सब किया जाता है ऐसा आमजन मानता है और अगर देखा जाए तो सही भी है ये सब होता ही है सियासी फ़ायदे के लिए।असल में यूपी में हुए गठबंधन के बाद मोदी की भाजपा की हालत हर दिन पतली होती जा रही है उसके लिए यह सब किया जा रहा है इस गठबंधन से निपटने के लिए कई तरीक़ों पर काम किया जा रहा है पहला फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद जिनका डीएनए अंग्रेज़ों की ग़ुलामी का रहा है वो राष्ट्रवाद की बात कर रहे है और जिन्होंने इस मुल्क के लिए अपनी जान क़ुर्बान की है उनसे प्रमाणपत्र माँगे जा रहे है मोदी की भाजपा की स्ट्रेटेजी है कि फर्जी राष्ट्रवाद के नाम पर यूपी में हो रही यह गोलबंदी को खतम कर दी जाए या जनता में यह संदेश दिया जाए कि यह सब बसपा और सपा के नेता दौलत के पुजारी है जबकि किसी भी दल के नेता हो वह दौलत कमाने में पीछे नही है मोदी की भाजपा ने नई दिल्ली में पाँच साल की सरकार में ही 7 स्टार होटल नुमा कार्यालय बना लिया ये कहाँ से आया और किस तरह बना यह भी सब जानते है और देश पर सबसे ज़्यादा शासन करने वाली कांग्रेस भी ऐसा हाईटेक कार्यालय बनाने में नाकाम रही फिर भी गोदी मीडिया कांग्रेस को भ्रष्ट्राचारी कहते है ये है न कमाल की बात।नोटबंदी और राफ़ेल के तथाकथित भ्रष्टाचार की परतें भी उठा दी जाती तो लगता कि हाँ सही नारा था न खाऊँगा न खाने दूँगा।सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार कुछ और आईएएस अफसरों की सूची बनाई गई है जो बसपा और सपा के क़रीबियों में गिने जाते है उनकी फोन रिकार्ड से लेकर ज़मीन जायदाद तक की सूचनाएँ जुटाई जा रही है चुनाव की घोषणा होने के बाद इनके यहाँ छापे मारना दबाव की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।इसी क्रम में बी चन्द्रकला के यहाँ भी छापेमारी की गई थी वह सपा की सरकार में हमीरपुर में डीएम के पद पर रही थी उनके यहाँ भी करोड़ों की सम्पत्ति मिलने का दावा किया गया था जैसे आज दावा किया जा रहा कि नेतराम के यहाँ करोड़ों की सम्पत्ति के काग़ज़ मिलने का दावा किया जा रहा है ईडी और आयकर विभाग की संयुक्त कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित माना जा रहा है नेतराम बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने की भी तैयारी कर रहे है टैक्स चोरी के आरोप में फँसा सकता है आयकर विभाग ये तो एक बहाना है मक़सद कांग्रेस को गठबंधन में शामिल न करने का दबाव बनाना है जिसमें लगता है मोदी की भाजपा कामयाब भी हो गई क्योंकि मायावती ने प्रेस को जारी अपने एक बयान में साफ कर दिया है कि कांग्रेस से हमारा कोई गठबंधन नही होने जा रहा है जिसके बाद ये साफ हो गया कि कांग्रेस यूपी में गठबंधन का हिस्सा नही होने जा रही है।