नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने आम चुनाव 2019 के तारीखों की घोषणा कर दी है। चुनाव की घोषणा के साथ ही ओपिनियन पोल भी आने लगे हैं। कुछ में यह बताया गया है कि अभी भी देश की एक बड़ी आबादी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अक्सर पहने जाने वाले कोट जिसे लोग बाजार में ‘मोदी जैकेट’ भी बोलते हैं, इसकी डिमांड काफी कम हो गई है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के कपड़ा विक्रेताओं ने बताया कि वर्ष 2014 के चुनाव के समय ‘मोदी जैकेट’ की मांग तेजी से बढ़ी थी, लेकिन अब इसकी बिक्री में अप्रत्याशित कमी देखने को मिल रही है।

पीटीआई के अनुसार, औरंगाबाद के एक स्थानीय विक्रेता ने बताया कि एक समय था जब प्रतिदिन उसके दुकान से करीब 35 ‘मोदी जैकेट’ बिक जाते थे, लेकिन अब ऐसा समय आ गया है कि एक सप्ताह में एक बिकते हैं। दूसरे व्यापारी गुरविंदर सिंह ने कहा कि जीएसटी, नोटबंदी और राज्य में सूखा पड़ने की की वजह से अन्य कपड़ों की तरह जैकेट की ब्रिक्री पर भी प्रभाव पड़ा है। गुलमंडी, तिलक पथ, औरंगपुरा, सर्राफा, ओसमापुरा और सिदको क्षेत्र के कई व्यापारियों ने भी लगभग यही बातें कही।

कपड़ा व्यापारी राजेंद्र भावसर, जो अन्य रेडिमेड पारंपरिक परिधानों के साथ इन जैकेट का स्टॉक रखते हैं, ने कहा कि पिछले एक साल में उन्होंने अपने दुकान में 10 से अधिक ‘मोदी जैकेट’ नहीं बेचे। वे कहते हैं, “मुझे अब यह समस्या हो रही है कि बिना बिके जैकेट का स्टॉक ज्यादा हो गया है। मैंने काफी ज्यादा पैसे इसमें लगा दिए हैं लेकिन फायदा कुछ नहीं हो रहा है।”

हारून मास्टर के रूप में लोकप्रिय स्थानीय दर्जी दिलीप लोखंडे कहते हैं कि अब गर्मी आने वाली है, लोग खादी, लिनन और सूती शर्ट में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा, “कोई भी हमारे पास जैकेट (मोदी जैकेट) सिलवाने नहीं आ रहा है।” लोखंडे कहते हैं कि उनके जिन कारीगरों को जैकेट बनाने में महारत हासिल थी, वे अब दूसरे फॉर्मल कपड़े सिलने लगे हैं। उन्होंने आगे कहा, “हम ‘मोदी जैकेट’ की सिलाई के लिए 200 रुपये से 300 रुपये का चार्ज लेते थे, लेकिन अब हमारे कारीगर फॉर्मल ड्रेस सिलकर ज्यादा कमा रहे हैं।