76 प्रतिशत से थोड़ी अधिक कामकाजी महिलाएं निवेश संबंधी अपने निर्णय स्वयं लेती हैं। हालांकि, 59 प्रतिशत स्वरोजगारी महिलाएं वित्तीय मार्गदर्शन हेतु प्रायः अपने दंपत्ति पर निर्भर करती हैं, जबकि ऐसा करने वाली वेतनभोगी महिलाएं 48 प्रतिशत हैं। दोनों ही खण्डों की 88 प्रतिशत महिलाओं का परिवार की आमदनी में योगदान है, यद्यपि स्वरोजगारी महिलाओं का परिवार की आमदनी में अधिक योगदान होता है। 8 मार्च को मनाये जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, इंडिया लेड्स द्वारा महिला उधारकर्ताओं पर कराये गये सर्वेक्षण – वर्किंग स्ट्रीटसर्वे में ये महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने निकल कर आये। इंडिया लेंड्स एक आॅनलाइन कर्जदाता प्लेटफाॅर्म है। यह सर्वेक्षण महानगरों और गैर-महानगरीय शहरों दोनों ही जगह 25-45 वर्ष के आयु समूह की 8800 कामकाजी महिलाओं पर किया गया। इससे उन महिलाओं के व्यक्तिगत, वित्तीय, स्वास्थ्य एवं लीजर से जुड़े लक्ष्यों का पता लगाने में मदद मिली। अन्य निष्कर्षों में, 50 प्रतिशत प्रतिक्रियादाताओं ने होम लोन/प्रोपर्टी पर लोन के बजाये पर्सनल लोन को पसंद किया। लगभग 46 प्रतिशत वेतनभोगी महिलाओं को पर्सनल लोन हासिल करना आसान लगा, जबकि 32 प्रतिशत स्वरोजगारी महिलाओं ने पर्सनल लोन हासिल करना आसान बताया, जबकि स्वरोजगारी महिलाओं में बिजनेस लोन की मांग अधिक रही। लगभग सभी प्रतिक्रियादाताओं को उनके क्रेडिट स्कोर्स की जानकारी थी। स्वास्थ्य और लीजर के क्षेत्र में, 86 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि उनके कार्य जीवन और व्यक्तिगत जीवन के बीच अच्छा संतुलन है। हालांकि 64 प्रतिशत प्रतिक्रियादाताओं ने यह भी माना कि उन्हें हफ्ते में 5 घंटे से भी कम समय अपने आप के लिए मिल पाता है। अधिकांश महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सर्वोपरि प्राथमिकता में शामिल नहीं था, मात्र 48 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि वे नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराती हैं। जहां तक खर्च करने का सवाल है, 67 प्रतिशत प्रतिक्रियादाताओं ने अधिकांशतः घरेलू सामानों पर खर्च किया, जबकि 22 प्रतिशत ने व्यक्तिगत देखभाल वाले उत्पादों पर खर्च किया। इंडिया लेंड्स के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, गौरव चोपड़ा ने कहा, ‘‘कामकाजी महिलाओं पर कराया गया वर्किंग स्ट्रीटसर्वे सर्वेक्षण महिलाओं और पैसे के बीच संबंध के बारे में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, खासकर उनकी आर्थिक आजादी, निवेश के बारे में जानकारी और पैसा खर्च करने की आदतों को लेकर। यह सर्वेक्षण इस बात की व्यापक समझ देता है कि किस तरह से बढ़ती लिंग समानता और नारी सशक्तिकरण के चलते महिलाएं आत्मविश्वास के साथ अपनी जिंदगी से जुड़े व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों ही निर्णय ले रही हैं। इन निष्कर्षों के आधार पर, इंडिया लेंड्स महिलाओं को उनके स्वयं के वित्तीय निर्णय लेने की आजादी देने हेतु सहायक वातावरण तैयार करने के हमारे सतत प्रयासों के तहत वेतनभोगी और स्वरोजगारी महिलाओं को आवश्यकतानुरूप पेशकश उपलब्ध करा सकेगा।’’