फैसले से पहले समझौता ब्लास्ट केस में आया नाटकीय मोड़
पाकिस्तानी महिला ने सबूत पेश करने का किया दावा, फैसला 14 मार्च के लिए सुरक्षित
नई दिल्ली : समझौता ट्रेन ब्लॉस्ट मामले में एनआईए अदालत का फैसला आने से ठीक पहले नाटकीय मोड़ आ गया। पाकिस्तान की महिला ने दावा किया है कि इस मामले में गवाही देने के लिए पाकिस्तान में लोग मौजूद है और वह उन्हें अदालत में पेश करना चाहती है। पाकिस्तानी महिला की अर्जी के बाद कोर्ट ने अपना फैसला 14 मार्च के लिए सुरक्षित रख लिया। एनआईए की अदालत आज इस मामले में अपना फैसला सुनाने वाली थी। बता दें कि समझौता केस की सुनवाई के लिए पाकिस्तानी दूतावास के जरिए छह बार सम्मन भेजे जा चुके हैं लेकिन गवाही के लिए कोई नहीं आया।
एनआईए ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि पाकिस्तानी मुस्लिमों को निशाना बनाकर यह विस्फोट किया गया था। जांच एजेंसी ने इस केस में करीब 290 गवाहों से पूछताछ की जिनमें से 30 अपने बयान से पलट गए। इस ट्रेन में विस्फोट उस समय हुआ था जब वह पानीपत के दीवानी गांव के पास थी। ट्रेन उस समय भारत की तरफ के अंतिम स्टेशन अटारी की तरफ बढ़ रही थी।
18 फरवरी 2007 को समझौता ट्रेन की दो बोगियों में विस्फोट हुआ था जिसमें 68 यात्री मारे गए थे। इस केस में अब तक कई उतार-चढ़ाव आए हैं। एनआईए ने 29 जुलराई 2010 को इस मामले की जांच का जिम्मा संभाला और 20 जून 2011 को इस केस में एक हिंदू समूह के खिलाफ चार्जशीट दायर किया।
एनआईए ने अपनी जांच के बाद रामचंद्र कलासांगरा उर्फ रामजी, संदीप डांगे, सुनील जोशी, लोकेश शर्मा और स्वामी असीमानंद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया। इन पांच लोगों पर रेलवे अवं अन्य आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ।
ब्लास्ट के बाद इस मामले की जांच एसआईटी ने की थी। इस ब्लॉस्ट में एक सूटकेस का इस्तेमाल किया गया था जिसमें ज्वलनशील पदार्थ रखे गए थे। एसआईटी ने अपनी जांच में यह पता लगाने की कोशिश की थी कि इस सूटकेस को इंदौर से किसने खरीदा। सूटकेस जिस दुकान से खरीदा गया था, उस दुकानदार ने पहले कहा था कि संदिग्ध स्थानीय भाषा में बातचीत कर रहे थे लेकिन इसके बाद वह अपने बयान से पलट गया।
पुलवामा में गत 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हमला होने के बाद इस ट्रेन का परिचालन रोक दिया गया था। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए। हालांकि बाद में दोनों देशों ने बाद में समझौता एक्सप्रेस का परिचलान बहाल करने का फैसला किया।