नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही देशभर में चुनाव आचार संहिता (code of conduct) लागू कर दी गई है। इसकी घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि आचार संहिता के दौरान रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउड स्पीकर बजाने पर रोक होगी। लेकिन ये तो सिर्फ एक घोषणा है। चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद बहुत सारे ऐसे नियम होते हैं जिसे लोगों को पालन करना होता है। आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर चुनाव आचार संहिता होती क्या है और इसे चुनाव आयोग क्यों चुनाव के वक्त लागू करता है।

निर्देशों का करना होता है पालन

आचार संहिता का मतलब चुनाव आयोग के उन निर्देशों से है जिनका पालन चुनाव लड़ने वाली हर पार्टी और नेताओं को करना होता है। जो इन निर्देशों का पालन नहीं करता है उसे सजा सुनाई जा सकती है। चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, सभी को चुनाव आचार संहिता के दायरे में रहना होता है।

आचार संहिता के निर्देश और नियम

  • आचार संहिता लगने के बाद कोई भी पार्टी बिना अनुमति के कहीं भी होर्डिंग या पोस्टर नहीं लगा सकती।
  • सभा स्थल में लाउडस्पीकर के उपयोग के लिए पहले अनुमति लेनी होगी।
  • धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के मंच के रूप में नहीं किया जा सकता।
  • किसी भी सभा के स्थान और समय की प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।
  • साथ ही इसकी जानकारी पहले पुलिस अधिकारियों को देनी होगी।

सत्ताधारी दल को इन निर्देशों का करना होता है पालन

  • सत्ताधारी दल के मंत्री शासकीय दौरों के दौरान चुनाव प्रचार नहीं करेंगे।
  • सरकारी विमान और गाड़ियों का प्रयोग दल के हितों को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जाएगा।
  • हेलीपैड पर सत्ताधारी दल एकाधिकार नहीं रहेगा।
  • सरकारी आवास और विश्राम स्थलों पर किसी का भी एकाधिकार नहीं होगा।
  • सरकारी की योजनाओं का प्रचार सरकारी धन से नहीं किया जाएगा।

अधिकारियों को इन निर्देशों का करना होता है पालन

  • चुनाव कार्य से जाने वाले मंत्रियों के साथ अधिकारी नहीं जाएंगे।
  • ड्यूटी के अलावा कोई अधिकारी या अन्य राजनीतिक आयोजन में शामिल नहीं होंगे।
  • शासकीय कर्मचारी किसी भी अभ्यर्थी के निर्वाचन, मतदाता या गणना एजेंट नहीं बनेंगे।
  • मंत्री यदि दौरे के समय निजी आवास पर ठहरते हैं अधिकारी उनसे मिलने वहां नहीं जाएंगे।